![70 साल में 5 पार्टियों पर प्रतिबंध लगाने का इतिहास... पाकिस्तान में इमरान की PTI पर बैन कोई नई बात नहीं!](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202407/669514b283f01-former-pakistan-prime-minister-imran-khan-152312589-16x9.png)
70 साल में 5 पार्टियों पर प्रतिबंध लगाने का इतिहास... पाकिस्तान में इमरान की PTI पर बैन कोई नई बात नहीं!
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अगस्त 2018 से अप्रैल 2022 तक पाकिस्तान की सत्ता पीटीआई के हाथ में थी. अगर इस पर बैन लगता है तो यह पाकिस्तान में कोई नई बात नहीं होगी. पाकिस्तान में राजनीतिक दलों को प्रतिबंधित करने का इतिहास काफी पुराना रहा है. 1954 से अब तक पाकिस्तान में पांच पार्टियों को बैन किया जा चुका है.
अपने 77 साल के इतिहास में पाकिस्तान आधे से अधिक समय तक अलग-अलग सैन्य शासनों के अधीन रहा. जब भी लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर सरकार आई उसे पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ा और आज तक पाकिस्तान का कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया. लेकिन तमाम आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा पड़ोसी मुल्क वर्तमान में एक ऐसे राजनीतिक दौर से गुजर रहा है जो काफी अलग है.
सत्ता में एक ऐसी सरकार है जो चुनाव में धांधली के आरोपों के बाद भी लोकतांत्रिक तरीके से चुने जाने का दावा कर रही है. लेकिन लोकतांत्रिक शासन के लिए अनिवार्य विपक्ष नदारद है. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जेल में बंद हैं और अब पाक पीएम शहबाज शरीफ की अगुवाई वाली सरकार उनकी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ पर बैन लगाने की तैयारी कर रही है. खुद सूचना मंत्री ने इसकी जानकारी दी है. पिछले साल इमरान की गिरफ्तारी के बाद हुई हिंसा से ही पीटीआई को बैन करने की खबरें आती रही हैं जिस पर अब मुहर लग गई है.
अगस्त 2018 से अप्रैल 2022 तक पाकिस्तान की सत्ता पीटीआई के हाथ में थी. अगर इस पर बैन लगता है तो यह पाकिस्तान में कोई नई बात नहीं होगी. पाकिस्तान में राजनीतिक दलों को प्रतिबंधित करने का इतिहास काफी पुराना रहा है. 1954 से अब तक पाकिस्तान में पांच पार्टियों को बैन किया जा चुका है.
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ पाकिस्तान
पाकिस्तानी न्यूज वेबसाइट जियो टीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 1954 में पाकिस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी को 1951 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की सरकार को उखाड़ फेंकने के प्रयास के आरोप में प्रतिबंधित कर दिया गया था. मेजर-जनरल अकबर खान के नेतृत्व वाली इस पूरी प्लानिंग को रावलपिंडी कॉन्सपिरेसी केस के रूप में जाना जाता है जिसका कथित तौर पूर्व सोवियत संघ समर्थन कर रहा था.
जनरल अकबर, उनकी पत्नी, मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, दर्जनों सैन्य अधिकारी और कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सैयद सज्जाद ज़हीर को गिरफ्तार कर लिया गया था. उन पर केस चलाया गया और सलाखों के पीछे डाल दिया गया.
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