5000 रुपये उधार लेकर शुरू की कंपनी... आज 43,700 करोड़ के मालिक, IPO आते ही बजा डंका!
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वारी रिन्यूएबल्स टेक्नोलॉजीज कंपनी के चेयरमैन हितेश चिमनलाल दोशी ने इस कंपनी की शुरुआत की थी. उन्होंने मुंबई में पढ़ाई के दौरान कारोबार की दुनिया में कदम रखा था. उन्होंने साल 1985 में एक रिश्तेदार से 5000 रुपये का उधार लिया था और फिर कारोबार की शुरुआत की थी.
सोलर पैनल बनाने वाली कंपनी वारी एनर्जीज IPO बीते सोमवार को शेयर बाजार में लिस्ट हो गया, जिसकी चर्चा आईपीओ आने के समय से ही खूब हो रही थी. इस IPO ने अपनी लिस्टिंग पर निवेशकों को छप्परफाड रिटर्न दिया. कंपनी के शेयर अपने प्राइस बैंड 1503 रुपये के मुकाबले करीब 70 प्रतिशत उछाल के साथ 2,550 रुपये पर लिस्ट हुआ. लिस्टिंग के दूसरे दिन इस शेयर में 5 फीसदी की तेजी आई और यह 2,454 रुपये पर पहुंच गया. लेकिन क्या आपको पता है कि तगड़ा रिटर्न देने वाली इस कंपनी की शुरुआत कैसे हुई?
दरअसल, वारी रिन्यूएबल्स टेक्नोलॉजीज कंपनी के चेयरमैन हितेश चिमनलाल दोशी ने इस कंपनी की शुरुआत की थी. उन्होंने मुंबई में पढ़ाई के दौरान कारोबार की दुनिया में कदम रखा था. उन्होंने साल 1985 में एक रिश्तेदार से 5000 रुपये का उधार लिया था और फिर कारोबार की शुरुआत की थी. उन्होंने उधार के पैसे से 5,000 रुपये से प्रेशर और टेंपरेचर गेज बेचने का कारोबार शुरू किया. हालांकि पढ़ाई और कारोबार दोनों को मैनेज करना दोशी के लिए काफी कठिन था.
पहले ही साल कंपनी ने किया कमाल फिर भी दोशी 1000 रुपये महीने के मुनाफे के साथ अपने कॉलेज की फीस और रहने के खर्च को करते थे. जब उनका कारोबार बढ़ता गया तो उन्होंने इसे कंपनी के तौर पर रजिस्टर्ड करने के बारे में सोचा. साल 1989 के सितंबर महीने में उन्होंने अपने वेंचर को वारी इंस्टूमेंट्स के नाम से रजिस्टर्ड करा लिया. पहले ही साल उनकी कंपनी का टर्नओवर 12000 रुपये रहा था. करीब 40 साल बाद उनकी कंपनी रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बन गई है और इसका मार्केट कैप 71,244 करोड़ रुपये हो चुका है.
पिता का किराने का दुकान एक इंटरव्यू में हितेश ने बताया था कि उनका जन्म महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के एक छोटे गांव में हुआ था. उनके पिता किराने की दुकान चलाते थे. गांव में बिजली और फोन जैसी सुविधाएं भी सीमित ही थीं. उस गांव में सातवीं क्लास तक ही पढ़ाई होती थी, जिस कारण उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए बाहर जाना पड़ता था. 12वीं पूरी करने के बाद वे मुंबई आ गए और मुंबई यूनिवर्सिटी के चिनाई कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स की डिग्री हासिल की. फिर क्या था उन्होंने कारोबार को लेकर दिलचस्पी दिखाई और फिर अपने परिवार की आर्थिक बोझ को कम करने के लिए उन्होंने साल 1985 में पैसे उधार लेकर टेंपरेचर गेज का कारोबार शुरू कर दिया, फिर उन्होंने पानी के पंप, हीटर, कुकर और लालटेन जैसे बिजली इक्विपमेंट में कारोबार की शुरुआत की.
गांव की मंदिर के नाम पर रखा कंपनी का नाम कुछ सालों तक कारोबार करने के बाद, उन्होंने अपनी छोटी से कंपनी की स्थापना की और गांव के वारी मंदिर के नाम पर कंपनी का नाम वारी एनर्जीज रख दिया. कंपनी शुरू करने के साथ ही उन्होंने एक बैंक से 1.5 लाख रुपये का लोन भी लिया. धीरे-धीरे कारोबार आगे बढ़ता रहा और साल 2007 में सोलर इक्विपमेंट का निर्माण शुरू किया. यह वही टाइम था, जब वारी एनर्जी का तेजी से ग्रोथ होने वाला था. पहली बार उन्हें सबसे बड़ा ऑर्डर अमेरिका और यूरोप के ग्राहकों से आया. धीरे-धीरे ये कंपनी इस सेक्टर में लीडर बन गई है.
कुल कितनी संपत्ति के हैं मालिक सोमवार को वारी एनर्जी की लिस्टिंग के साथ दोशी और उनका परिवार दुनिया के सबसे अमीरों की कैटेगरी में शामिल हो चुके हैं. ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार, वारी एनर्जी के शेयरों की लिस्टिंग के बाद दोशी परिवार की कुल संपत्ति लगभग 5 अरब डॉलर (500 करोड़ रुपये) हो गई. बता दें कि 57 वर्षीय हितेश दोशी वारी एनर्जीज के चेयरमैन और एमडी हैं, जबकि उनके दो भाई और भतीजे समूह में बोर्ड निदेशक हैं. यह परिवार इंजीनियरिंग ब्रांच वारी रिन्यूएबल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड और एनर्जी स्टोरेज कंपनी वारी टेक्नोलॉजीज लिमिटेड का सबसे बड़ा शेयरहोल्डर भी है, दोनों पहले से ही लिस्टेड कंपनी हैं.
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