497 करोड़ की पेनल्टी, 23 किलो जब्त सोना... कानपुर के 'काले खजाने' वाले पीयूष जैन के केस का आखिरकार क्या हुआ?
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कांग्रेस सांसद धीरज प्रसाद साहू से जुड़ी एक डिस्टिलरी यूनिट से 300 करोड़ से ज्यादा नकदी बरामद होने के बाद कानपुर के कारोबारी पीयूष जैन का मामला चर्चा में है. दो साल पहले रेड मारने वाले विभाग ने पीयूष को 497 करोड़ का पेनल्टी नोटिस थमाया है. इतना ही नहीं, आयकर विभाग भी जुर्माना लगाने की तैयारी में है.
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों पर आयकर विभाग ने 351 करोड़ का कैश बरामद किया है. इस छापेमार कार्रवाई के बाद यूपी के कानपुर में इत्र कारोबारी पीयूष जैन का मामला भी चर्चा में आ गया है. ठीक दो साल पहले जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने पीयूष जैन के ठिकानों पर एकसाथ छापा मारा था और 197 करोड़ रुपए कैश, 23 किलो सोना और अन्य बहुमूल्य चीजें बरामद की थीं. इस मामले में कारोबारी बुरी तरह फंस गया है. कैश और जेवर वापस मिलना तो दूर, जांच एजेंसी दोगुना यानी 497 करोड़ रुपए का पेनल्टी का नोटिस थमा चुकी है. इतना ही नहीं, इनकम टैक्स भी जल्द बड़ी पेनल्टी लगाएगा.
बता दें कि डीजीजीआई की अहमदाबाद शाखा ने दिसंबर 2021 में कानपुर और कन्नौज में पीयूष जैन के ठिकानों से 196.54 करोड़ रुपये नकदी, 23 किलो सोना और 600 किलो चंदन का तेल बरामद किया था. इस मामले में एजेंसी की तरफ से कानपुर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई है. हाई कोर्ट के आदेश पर पीयूष को सितंबर-2022 में जमानत मिल चुकी है.
कार्रवाई कहां तक पहुंची?
मई 2023 में डीजीजीआई ने अपनी जांच पूरी कर ली थी और पीयूष जैन पर 497 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाई है. साथ ही इस मामले में 11 अन्य लोगों को आरोपी बनाकर नोटिस जारी कर दिया गया है. इस मामले में एजेंसी की तरफ स 1 लाख 60 हजार पेज की चार्टशीट कोर्ट में दाखिल की गई है.
जब्त हुए 197 करोड़ रुपए और सोने का क्या हुआ?
जानकारी के मुताबिक, पीयूष जैन के ठिकाने से जीएसटी विभाग ने 197 करोड़ रुपये कैश बरामद किया था. इस पर जैन ने स्वयं आकलन कर 57 करोड़ रुपए जीएसटी सरकारी खाते में जमा कर दिया था. कोर्ट में पीयूष जैन की तरफ से पक्ष रखा गया कि उनके आकलन के अनुसार 57 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी की गई है, जो उन्होंने सरकारी खाते में जमा कर दी है, लेकिन जीएसटी विभाग ने अपनी जांच पूरी करके पीयूष जैन पर 497 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगा दी. डीजीजीआई ने बाकी बचे हुए 140 करोड़ रुपए की भारत के राष्ट्रपति के नाम पर एफडी कराकर उसमें जमा करा दिया था.
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