
392 पिलर, 44 गेट, मुख्य मंदिर तक 32 सीढ़ियां, नागर शैली की वास्तुकला... ऐसा होगा अयोध्या में बन रहा राम मंदिर
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राम मंदिर परिसर का अधिकांश हिस्सा सैकड़ों पेड़ों के साथ हरा-भरा क्षेत्र होगा. खुद के सीवेज और जल शोधन संयंत्र होंगे. एक फायर ब्रिगेड चौकी और विशिष्ट बिजली लाइन जैसी सुविधाओं के साथ मंदिर को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि 70 एकड़ परिसर का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा हरित क्षेत्र होगा.
अयोध्या में एक बार फिर दिवाली जैसी ही दिव्यता दिखने लगी है. मंदिरों से लेकर घरों तक को सजाया जा रहा है. गली-चौराहों से लेकर सड़कें तक रोशनी से जगमग दिखने लगी हैं. श्रद्धालुओं की संख्या दिनोंदिन बढ़ती संख्या इस रौनक को चार-चांद लगा रही है. भव्य राम मंदिर के निर्माण का हर कोई गवाह बनना चाहता है. प्राण-प्रतिष्ठा तो अगले साल 22 जनवरी 2024 को है, लेकिन तैयारियों को अंतिम रूप 25 दिन पहले से ही दिया जा रहा है. मंदिर निर्माण में अब तक 392 पिलर, 44 गेट और नागर शैली की वास्तुकला की झलक देखने को मिल रही है. मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए 32 सीढ़ियां बनकर तैयार हो गई हैं.
हालांकि, मंदिर निर्माण से जुड़े प्रोजेक्ट पूरे होने में अभी दो साल और लग सकते हैं. जानकार कहते हैं कि इसी तेजी से काम आगे चलता रहा तो 2026 तक अयोध्या और राम मंदिर की दिव्यता और भव्यता पूरे देश-दुनिया को देखने को मिलेगी. मंदिर का पूरा परिसर 70 एकड़ का है, जिसमें 25-30% ही निर्मित क्षेत्र होगा. बाकी हरित क्षेत्र होगा. मंदिर का पहला चरण पूरा होने वाला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को 'प्राण प्रतिष्ठा' (राम लला की मूर्ति के अभिषेक कार्यक्रम) समारोह में हिस्सा लेंगे. तब तक भूतल और पूर्व में बन रहा मुख्य प्रवेश द्वार तैयार हो जाएगा. अभिषेक का शुभ समय दोपहर करीब 12.15 बजे होगा.
'मंदिर के अंदर 44 गेट होंगे'
राम मंदिर निर्माण में संस्कृति का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है. पूरा मंदिर नागर शैली में बन रहा है. मंदिर में दक्षिण की द्रविड़ शैली का भी खास प्रभाव देखने को मिल रहा है. राम मंदिर में पूर्व की दिशा से प्रवेश होगा, जबकि दर्शन के बाद श्रद्धालु दक्षिण दिशा से मंदिर से बाहर आएंगे. बीच में रामलला का गर्भगृह है. मंदिर में ऊपर तक पहुंचने के लिए कुल 32 सीढ़ियां हैं, उसके बाद ही श्रद्धालु मंदिर तल पर पहुंच सकेंगे. प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा. नृत्य, रंग, सभा, प्रार्थना और कीर्तन के पांच मंडप भी बनाए जा रहे हैं. मंदिर परिसर कुल 2.70 एकड़ में बन रहा है. मंदिर के भीतर अलग-अलग 44 द्वार होंगे.
'परकोटे में बनाए जा रहे हैं मंदिर'

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