2024: दुनिया में राजनीतिक बदलावों का वर्ष, हैरान करने वाली हार और कुर्सी पर कुंडली जमाए बैठे राजनेता!
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वर्ष 2024 में विभिन्न देशों में धुर दक्षिणपंथी पार्टियों के सत्ता हासिल करने में भी वृद्धि देखी गई है. यह प्रवृत्ति वैश्विक राजनीतिक भावनाओं में व्यापक बदलाव को दर्शाती है, जहां राष्ट्रवाद और रूढ़िवादी विचारधाराएं अधिक प्रमुख होती जा रही हैं. ये परिवर्तन घरेलू नीतियों, अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करेंगे और आर्थिक रणनीतियों से लेकर सुरक्षा तक सबको नया आकार देंगे.
वर्ष 2024 में दुनिया भर में महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन हुए हैं, कई देशों में सरकार या नेतृत्व में बदलाव हुआ है. इन बदलावों का घरेलू नीतियों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ता है. इसके अतिरिक्त धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों के उदय का रुझान भी देखने को मिल रहा है, जो वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में व्यापक बदलावों को दर्शाता है. आइए ऐसे ही कुछ उदाहरणों पर एक नजर डालते हैं...
बांग्लादेश
प्रधानमंत्री: शेख हसीना (अवामी लीग)
पराजित: खालिदा जिया (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, बीएनपी) और अन्य विपक्षी नेता
शेख हसीना का निरंतर नेतृत्व बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करता है, लेकिन मतदाताओं के दमन और राजनीतिक हिंसा के आरोपों के कारण लोकतांत्रिक गिरावट पर चिंता भी पैदा करता है. उनकी जीत का श्रेय उनके कार्यकाल की आर्थिक उपलब्धियों और देश में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को दिया गया. हालांकि, हसीना पर चुनावों में हेरफेर कराने के आरोप भी लगे. बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता दक्षिण एशिया की जियो-पॉलिटिक्स को प्रभावित करती है. विशेष रूप से भारत और चीन के साथ इसके संबंधों और क्षेत्रीय सुरक्षा पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है.
भूटान
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
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