'2022 में मुझे जिम्मेदारी देते तो CM होते अखिलेश', छलका शिवपाल यादव का दर्द
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मैनपुरी उपचुनाव में चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अखिलेश यादव फिर से साथ आ गए हैं. शिवपाल यादव भी बहू डिंपल यादव के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं और ये संदेश दे रहे हैं कि हमें आगे भी एकजुट रहना होगा.
समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी संसदीय सीट पर उपचुनाव हो रहा है. मैनपुरी लोकसभा सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव उम्मीदवार हैं. डिंपल यादव की जीत के लिए सपा ने पूरी ताकत झोंक दी है. अखिलेश यादव खुद घर-घर जाकर पत्नी डिंपल के लिए वोट मांग रहे हैं.
अखिलेश यादव ने पिछले दिनों डिंपल के नामांकन से दूरी बनाने वाले चाचा शिवपाल यादव के घर पहुंचकर उनसे मुलाकात की थी. इसके बाद अखिलेश और शिवपाल, दोनों नेता एक मंच पर भी नजर आए थे. अब अखिलेश यादव से नाराजगी को लेकर शिवपाल ने बड़ा बयान दिया है. शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि 2022 के चुनाव में मुझे जिम्मेदारी नहीं मिली थी.
उन्होंने कहा है कि जिम्मेदारी मिलती तो हर विधानसभा क्षेत्र में 10 से 50 हजार वोट बढ़ जाते. शिवपाल ने दावा किया कि तब चुनाव में सपा को 250 सीटों पर जीत मिली होती और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री होते. उन्होंने मैनपुरी उपचुनाव को लेकर कहा कि इस चुनाव में यहां हमें पूरा समर्थन मिल रहा है. अब हमें एक रहना है.
शिवपाल यादव ने डिंपल यादव की मैनपुरी उपचुनाव में बड़ी जीत का दावा किया और ये भी कहा कि हमें अब आगे भी एक रहना है. उन्होंने कहा कि जसवंतनगर और करहल में वोट देने की प्रतियोगिता होती है. शिवपाल ने कहा कि अभी तक जसवंतनगर आगे रहा. हम अब चाहते हैं कि इसबार करहल विधानसभा क्षेत्र आगे रहे.
उन्होंने कहा कि इसबार करहल विधानसभा क्षेत्र वोट देने के मामले में जसवंतनगर से आगे रहे. शिवपाल ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार रघुराज शाक्य को लेकर भी बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि रघुराज शाक्य अपने समाज के भी नहीं हुए. शिवपाल ने कहा कि रघुराज शाक्य ने हमसे कभी नहीं पूछा और चुनाव लड़ने वो छिप कर गया.
शिवपाल यादव ने आगे कहा कि अगर रघुराज शाक्य मुझे गुरु मानता तो उसे पूछना चाहिए था ना कि छिप कर चुनाव लड़ने जाना चाहिए था. गौरतलब है कि रघुराज शाक्य सपा के टिकट पर सांसद रह चुके हैं. रघुराज को शिवपाल सिंह यादव का करीबी माना जाता है. वे शिवपाल के साथ प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया में भी रहे.
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
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