2021: ऐतिहासिक किसान आंदोलन, क़ानूनों की वापसी और एमएसपी
BBC
किसानों के एक साल लंबे चले आंदोलन के कारण मोदी सरकार को कृषि क़ानून वापस लेने पड़े. साल 2021 इस बड़े आंदोलन के लिए याद किया जाएगा.
साल 2021 आज़ादी के बाद से अभी तक के दौर में किसानों और खेती के मुद्दे पर सरकार और किसान दोनों के सबसे बड़े घटनाक्रम वाला साल रहा है.
जून, 2020 में केंद्र सरकार तीन नये कृषि क़ानूनों को लेकर आई जिसके ख़िलाफ़ किसानों का आंदोलन शुरू हुआ. किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर पिछले साल के नवंबर महीने में धरना शुरू कर दिया.
इस दौरान सरकार और किसानों के बीच वार्ताओं का लंबा दौर चला फिर दोनों के बीच बातचीत बंद हो गई. इसी बीच 26 जनवरी को दिल्ली का ट्रैक्टर मार्च हुआ और लाल क़िले पर हिंसा हुई. इसके साथ कई बड़े घटनाक्रमों का साक्षी, यह आंदोलन 11 दिसंबर, 2021 को समाप्त हुआ.
19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा की. यह साल क़ानून वापस होने की संसदीय प्रक्रिया का गवाह भी रहा है.
378 दिन लगभग शांतिपूर्ण तरीक़े से चले किसान आंदोलन ने देश में कृषि और किसान को देखने का नज़रिया बदलने के साथ ही 1991 की आर्थिक उदारीकरण की नीतियों की शुरुआत के बाद पहली बार कृषि क्षेत्र को नीति-निर्धारण, संसदीय बहस, राजनीतिक विमर्श और आर्थिक नीतियों के केंद्र में ला खड़ा किया.