
2019 में भारत में हुए वॉट्सऐप-एनएसओ हैक का वक़्त पेगासस प्रोजेक्ट के डेटाबेस से मेल खाता है
The Wire
पेगासस प्रोजेक्ट के तहत मिले दस्तावेज़ दिखाते हैं कि 2019 में जिन भारतीय नंबरों को वॉट्सऐप ने हैकिंग को लेकर चेताया था, वे उसी अवधि में में चुने गए थे जब वॉट्सऐप के मुताबिक़ पेगासस स्पायवेयर ने इस मैसेजिंग ऐप की कमज़ोरियों का फायदा उठाते हुए उसके यूज़र्स को निशाना बनाया था.
नई दिल्ली: पेगासस प्रोजेक्ट के तहतद वायर द्वारा हाल ही में रिपोर्ट किए गए स्पायवेयर के संभावित निशानों के रिकॉर्ड और 2019 में भारतीय फोन हैक करने के लिए वॉट्सऐप के इस्तेमाल के गहन विश्लेषण में सामने आए तथ्य लीक हुए डेटाबेस को और पुष्ट करते हैं. उल्लेखनीय है कि वॉट्सऐप के भारतीय फोन नंबरों की हैकिंग में इस्तेमाल की बात नरेंद्र मोदी सरकार ने उस साल संसद में स्वीकारी थी.
द वायर और इसके अंतरराष्ट्रीय मीडिया सहयोगियों द्वारा एक्सेस किए गए रिकॉर्ड में न केवल वे सभी दो दर्जन भारतीय, जिन्होंने 2019 में सार्वजनिक रूप से पेगासस द्वारा निशाना बनाए जाने की बात स्वीकारी थी, शामिल हैं, बल्कि लीक हुए डेटाबेस के रिकॉर्ड यह भी दिखाते हैं कि उनके फोन नंबर मार्च-अप्रैल 2019 में 12 दिनों की उस अवधि में चुने गए, जब वॉट्सऐप के अनुसार पेगासस स्पायवेयर ने उसके यूज़र्स को निशाना बनाने के इस मैसेजिंग ऐप की कमजोरियों का फायदा उठाया था.
डेटा के इन दो स्रोतों- 2019 के लक्ष्यों की सूची और पेगासस प्रोजेक्ट में सामने आए डेटाबेस- के तुलनात्मक विश्लेषण से कुछ नए खुलासे भी हुए हैं. उदाहरण के लिए, पेगासस प्रोजेक्ट डेटा के जरिये द वायर ने 2019 के हमले का निशाना बने कम से कम एक शख्स की पहचान की, जो पहले सामने नहीं आए थे.
नवंबर 2019 में 100 से अधिक भारतीयों को संदेश मिला कि उनके फोन को हैक करने का प्रयास किया गया है. उनमें से 23 ने दस्तावेजी साक्ष्य साझा करते हुए मीडिया को बताया कि उन्हें एक चेतावनी मिली थी. उन्हें जो चेतावनियां मिलीं, वे या तो वॉट्सऐप या टोरंटो स्थित सिटीजन लैब से आई थीं. सिटीजन लैब एक इंटरनेट साइबर सुरक्षा निगरानी संस्था है, जो संभावित लक्ष्यों की पहचान करने के लिए सिलिकॉन वैली कंपनी के साथ जुड़ी थी. कुछ लोगों को इन दोनों की तरफ से ही संदेश मिले थे.