1990 में कश्मीर मार्च किया, 1992 में राम जन्मभूमि आंदोलन में गए जेल, ABVP-RSS के लिए भी किया काम... अब मिली भजनलाल शर्मा को राजस्थान की कुर्सी
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राजस्थान के नए मुख्यमंत्री चुने गए भजन लाल शर्मा तीन दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं. वे अब तक संगठन के लिए काम करते आए हैं. शर्मा चार बार संगठन महामंत्री रहे हैं. बीजेपी ने इस बार सांगानेर से सिटिंग विधायक का टिकट काटकर सबसे सेफ सीट पर लड़ाया था. इतना ही नहीं, शर्मा को अमित शाह के करीबी माना जाता है.
भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश की तरह राजस्थान में चौंकाने वाला फैसला लिया है. यहां पहली बार के MLA भजन लाल शर्मा (54 साल) को विधायक दल का नेता चुना गया है. वे जयपुर की सांगानेर सीट से चुनाव जीते हैं. अभी तक शर्मा राजस्थान में बीजेपी के महामंत्री रहे हैं. भजन लाल का 34 साल का राजनीतिक अनुभव है. उन्होंने अब तक संगठन में रहकर ही काम किया है. चेहरा निर्विवाद रहा है और पार्टी से जुड़े कार्यक्रमों में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया है.
भजनलाल शर्मा ने अपने करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की. बाद में वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े और सामाजिक कार्यों में शामिल होने लगे. शर्मा ने 1992 में अयोध्या में राम मंदिर के लिए आंदोलन में भी सक्रियता निभाई. 1992 में उन्हें जेल में भी रहना पड़ा. वे 27 साल की उम्र में अपने गांव अटारी के सरपंच भी रहे हैं.
'सरपंच से शुरुआत, अब सीएम बने भजन लाल शर्मा'
पिछले तीन दशकों में शर्मा ने भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) और पार्टी संगठन में विभिन्न पदों पर कार्य किया है. उन्होंने भरतपुर जिले के अटारी गांव और नदबई शहर में शुरुआती पढ़ाई की. बाद में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में शामिल हो गए. उन्होंने नबादी और भरतपुर में सामाजिक मुद्दे भी उठाए. बाद में शर्मा बीजेपी की युवा शाखा भाजयुमो में चले गए. वे तीन बार भाजयुमो के जिला अध्यक्ष रहे. भरतपुर में बीजेपी के जिला सचिव और जिला अध्यक्ष भी रहे हैं. बाद में प्रदेश उपाध्यक्ष बने और अब फिर महासचिव की जिम्मेदारी संभाली.
'कश्मीर मार्च में लिया था हिस्सा'
शर्मा के जीवन में तब नया पड़ाव आया, जब वो 1990 में ABVP के विरोध-प्रदर्शन में चर्चाओं में आए. वे 1990 में कश्मीर मार्च में भी शामिल हुए थे. दरअसल, 1990 में देशभर से हजारों छात्र और एबीवीपी से जुड़े पदाधिकारी और कार्यकर्ता जम्मू में एकत्रित हुए थे और श्रीनगर की ओर मार्च किया था. हालांकि, शर्मा समेत मार्च में शामिल लोगों को रास्ते में रोक दिया था. घाटी में कश्मीरी पंडितों पर हमलों के विरोध में उधमपुर में गिरफ्तारी देने वाले कई लोगों में शर्मा भी शामिल थे.
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