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1971 की लड़ाई में जब तालाब के नीचे पाइप से साँस लेकर बचे भारतीय पायलट
BBC
1971 युद्ध के 50 वर्ष की दूसरी कड़ी में सुनिए किस तरह ढाका में विमान गिराए जाने के बाद मुक्ति वाहिनी के लड़ाकों ने एक भारतीय पायलट को तालाब के पानी के अंदर छुपा कर उनकी जान बचाई.
चार दिसंबर, 1971 की सुबह दमदम हवाई ठिकाने से उड़े 14 स्क्वॉर्डन के दो हंटर विमानों ने ढाका के तेज़गाँव एयरपोर्ट पर हमला किया.
एक हंटर विमान पर सवार थे- स्क्वॉर्डन लीडर कंवलदीप मेहरा और दूसरे हंटर को उड़ा रहे थे- उनके नंबर दो फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट संतोष मोने.
जब वो तेज़गाँव एयरपोर्ट के ऊपर से उड़े तो उन्हें पाकिस्तानी लड़ाकू विमान दिखाई नहीं दिए, क्योंकि पाकिस्तानियों ने उन्हें चारों तरफ़ छितरा रखा था. कुछ दूसरे ठिकानों पर बम गिराने के बाद जब मेहरा और मोने लौटने लगे तो एक दूसरे से अलग हो गए.
सबसे पहले मोने की नज़र कुछ दूरी पर पाकिस्तान के दो सेबर जेट विमानों पर पड़ी. कुछ ही सेकेंड के अंदर दो सेबर जेट विमान दोनों भारतीय हंटर विमानों के पीछे पड़ गए. अचानक मेहरा ने महसूस किया कि एक सेबर जेट विमान उनके पीछे आ रहा है.
मेहरा ने बाईं ओर मुड़कर मोने से उनकी पोज़ीशन के बारे में पूछा. मोने से उनको कोई जवाब नहीं मिला. सेबर ने मेहरा के हंटर पर लगातार कई फ़ायर किए. मेहरा ने मोने से कहा कि वो सेबर पर पीछे से फ़ायर करें ताकि उससे उनका पीछा छूटे. लेकिन मेहरा को इसका अंदाज़ा नहीं था कि मोने के हंटर के पीछे भी एक और सेबर लगा हुआ था.