1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारत को चीन से क्या डर था
BBC
1965 के युद्ध में भारत की सेना पूर्वी पाकिस्तान की तरफ़ बढ़ सकती थी, लेकिन उसने अपने क़दम पीछे क्यों खींच लिए थे?
26 सितंबर, 1965 को भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जब दिल्ली के रामलीला मैदान पर हज़ारों लोगों को संबोधित कर रहे थे तो वो कुछ ज़्यादा ही प्रफुल्लित मूड में थे. शास्त्री ने कहा था, "सदर अयूब ने एलान किया था कि वो दिल्ली तक चहलक़दमी करते हुए पहुंच जाएंगे. वो इतने बड़े आदमी हैं, लहीम शहीम हैं. मैंने सोचा कि उनको दिल्ली तक पैदल चलने की तकलीफ़ क्यों दी जाए. हम ही लाहौर की तरफ़ बढ़ कर उनका इस्तेक़बाल करें." ये शास्त्री नहीं 1965 के युद्ध के बाद भारतीय नेतृत्व का आत्मविश्वास बोल रहा था. ये वही शास्त्री थे जिनके नाटे क़द और आवाज़ का अयूब ख़ाँ ने मखौल उड़ाया था. अयूब अक्सर लोगों का आकलन उनके आचरण के बजाय उनके बाहरी स्वरूप से किया करते थे. 1965: क्या थी दोनों देशों के नेतृत्व की भूमिकाMore Related News