
1948 से अबतक 60 लाख लोगों ने छोड़ा गाजा, अब ट्रंप फिर करना चाहते हैं अरब देशों में ट्रासंफर, जानें ये कितनी बड़ी चुनौती
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में गाजा से फिलिस्तीनी शरणार्थियों को जॉर्डन, मिस्र और अन्य अरब देशों में ट्रांसफर करने का प्रस्ताव रखा है. उन्होंने फिलिस्तीनियों के लिए शांति से रहने के लिए कहीं और आवास बनाने का सुझाव दिया.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में गाजा से फिलिस्तीनी शरणार्थियों को जॉर्डन, मिस्र और अन्य अरब देशों में ट्रांसफर करने का प्रस्ताव रखा है. उन्होंने फिलिस्तीनियों के लिए शांति से रहने के लिए कहीं और आवास बनाने का सुझाव दिया. ट्रंप चाहते हैं कि युद्धग्रस्त क्षेत्र को साफ किया जाए और आबादी को बाहर निकाला जाए. लेकिन ट्रंप का ये सुझाव कितना सही है और इसका गाजा और अरब देशों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.
दरअसल, इजरायल के 15 महीने के भीषण हमलों से गाजा तबाह हो चुका है. इसी बीच, ट्रंप का ये प्रस्ताव न केवल गाजा के 2.3 मिलियन फिलिस्तीनियों को अपने घरों से बाहर निकालने की संभावना को बढ़ाता है, बल्कि यह अरब देशों को भी चिंता में डालता है.
क्या कहते हैं पुराने अनुभव
1948 में इजरायल की स्थापना के बाद करीब 7 लाख फिलिस्तीनियों को उनके घरों से निकाल दिया गया था. उन दिनों कई लोग पड़ोसी अरब देशों जैसे जॉर्डन, सीरिया और लेबनान में शरण लेने गए थे. बहुत से लोग अब भी शरणार्थी शिविरों में ही रह रहे हैं. इस दर्दनाक इतिहास को देखते हुए, गाजा के लोग किसी भी तरह के नए पलायन को लेकर गहरे भय में हैं, जो एक बार फिर उन्हें स्थायी रूप से बेघर कर सकता है.
1967 की मिडिल ईस्ट की जंग में जब इजरायल ने वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया तो 3 लाख से अधिक फिलिस्तीनी फिर घर छोड़ने को मजबूर हुए, जिनमें से ज्यादातर जॉर्डन में गए. गाजा छोड़कर अरब देशों में गए लोगों की संख्या 6 मिलियन है, जिनमें से अधिकांश वेस्ट बैंक, गाजा, लेबनान, सीरिया और जॉर्डन के शिविरों और समुदायों में रहते हैं.
इजरायल ने गाजा में मचाई तबाही

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