1947 के बिछड़े अब मिले: 'अपने ख़ून में बड़ी कशिश होती है, भाइयों को देखते ही पहचान गई थी'
BBC
गुरमुख सिंह की बहन मुमताज़ पाकिस्तान के शेख़ुपुरा जिले में रहती हैं. विभाजन के दौरान ये बिछड़ गए थे. क़रीब दो साल पहले उनका आपस में संपर्क हुआ और कुछ हफ्ते पहले करतारपुर में उनकी मुलाक़ात हुई.
"हम तीन भाई हैं. हम जीवन भर एक बहन के लिए तरसते रहे हैं. अपनी मौसी और मामा की बेटियों को बहनें बनाकर उनके साथ बहनों वाली रस्में पूरी करते रहे. क़िस्मत ने इतने समय के बाद बहन से मिलाया है, इसलिए अब यही इच्छा है कि बहन को जल्द से जल्द भारत का वीज़ा मिल जाए और वह कुछ दिनों के लिए हमारे साथ आ कर रह सके.
यह कहना था पंजाब के पटियाला जिले के शतराना गांव के रहने वाले गुरमुख सिंह का.
गुरमुख सिंह की बहन मुमताज़ पाकिस्तान के शेख़ुपुरा जिले में रहती हैं. उपमहाद्वीप के विभाजन के दौरान ये भाई-बहन बिछड़ गए थे. क़रीब दो साल पहले उनका आपस में संपर्क हुआ और कुछ हफ्ते पहले करतारपुर में उनकी मुलाक़ात हुई.
मुमताज़ बीबी कहती हैं कि 'अपने ख़ून में बहुत कशिश होती है. मैंने देखते ही भाइयों को पहचान लिया था. अब मेरी यही इच्छा है कि कुछ दिनों के लिए मैं उनके साथ रहने के लिए चली जाऊं और कुछ दिनों के लिए वो मेरे पास रहने आ जाएं.