
चंद रुपयों में भारत-बांग्लादेश सीमा पर चल रही घुसपैठ की मार्केट, आजतक के स्टिंग में खुलासा
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गृह मंत्रालय के अनुसार, भारत में बहु-तकनीकी दृष्टिकोण, हाईटेक सर्विलांस, नई पोस्ट, गहन गश्त, बाड़बंदी और फ्लड लाइटिंग से अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की गिरफ्तारी भी पिछले वर्षों की तुलना में घट गई है. अब यह संख्या वर्ष 2015 के 3,426 मामलों की तुलना में साल 2019 में घटकर महज 1,351 हो गई है.
बांग्लादेश की सीमा पर घुसपैठ के मामलों को देखते हुए भारत की ओर से कड़े सुरक्षा इतंजाम किए गए हैं. इसकी वजह से अब दोनों तरफ के मानव तस्कर कम सुरक्षित मार्गों से अवैध प्रवासियों को लाने ले जाने का काम मिलकर कर रहे हैं. गृह मंत्रालय के अनुसार, भारत में बहु-तकनीकी दृष्टिकोण, हाईटेक सर्विलांस, नई पोस्ट, गहन गश्त, बाड़बंदी और फ्लड लाइटिंग से अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की गिरफ्तारी भी पिछले वर्षों की तुलना में घट गई है. अब यह संख्या वर्ष 2015 के 3,426 मामलों की तुलना में साल 2019 में घटकर महज 1,351 हो गई है. छह साल पहले 5,900 से अधिक घुसपैठियों को बांग्लादेश वापस भेजा गया था. लेकिन आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 2019 में उनकी संख्या घटकर 2,175 रह गई है. आजतक/इंडिया टुडे की टीम ने जांच में पाया कि चुनाव की तरफ बढ़ रहे पश्चिम बंगाल की सीमा पर मानव तस्कर भी मनी चेंजर के रूप में काम करते हैं. वे अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ लगने वाले कमजोर सुरक्षा वाले रास्तों से अवैध प्रवासियों को लाने काम करते हैं. कोलकाता से लगभग 80 किलोमीटर दूर पेट्रापोल एकीकृत चेक पोस्ट के पास सभार एंटरप्राइज मनी-चेंजिंग फेसिलिटी संचालित करने वाला बांका नामक शख्स भारत में अवैध एंट्री के नाम पर 15,000 रुपये प्रति व्यक्ति लेता है. उसने कबूल किया कि मानव तस्कर अब भारत-बांग्लादेश सीमा के दोनों तरफ ज्यादा मेल-मिलाप से काम करते हैं. उस शख्स ने आजतक/इंडिया टुडे के खोजी पत्रकार को बताया कि पहले लोग 3000 से 10000 रुपये तक देकर बार्डर पार करते थे. लेकिन अब यह काम 15000 से लेकर 17000 रुपये तक में होता है. लोग अपनी मर्जी से कुछ भी मांग लेते हैं. बांका ने खुलासा करते हुए बताया कि ये लोग दोनों देशों की जाली आईडी भी बनवाते हैं, ताकि दोनों तरफ के सीमा सुरक्षा बलों द्वारा संभावित गिरफ्तारी की हालत में मुक्त प्रवासी के तौर पर उनकी मदद की जा सके. बांका ने बताया कि अगर वे बांग्लादेश में पकड़े जाते हैं, तो एक बांग्लादेशी पते की आवश्यकता होती है और यदि वे भारत में पकड़े जाते हैं, तो एक भारतीय पते की ज़रूरत होती है. उसके आधार पर उन्हें छुड़ाना आसान हो जाता है.
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