क्या बेंगलुरु में कोरोना का नया स्ट्रेन हो सकता है? छह डॉक्टर दुबारा संक्रमित हुए
NDTV India
Coronavirus: बेंगलुरु का विक्टोरिया अस्पताल कर्नाटक का सबसे बड़ा अस्पताल है. यहां से एक चौंकाने वाली खबर आई है. यहां छह डॉक्टरों को पिछले तीन महीने के अंदर दूसरी बार कोविड का संक्रमण हुआ है. अब जांच इस बात की हो रही है कि कहीं ये यूनाइटेड किंगडम से शुरू हुए स्ट्रेन की तरह कोरोना का नया स्ट्रेन तो नहीं है. वैसे तो इस मेडिकल कॉलेज के 150 के आसपास पीजी और एमबीबीएस डॉक्टरों को मरीज़ों का इलाज करते हुए कोरोना संक्रमण हो चुका है लेकिन चौंकाने वाली खबर ये है कि अब पांच पीजी के और एक एमबीबीएस इंटर्न को तीन महीने के अंदर दूसरी बार कोविड हो गया है. इनमें से एक ने प्लाज्मा भी डोनेट किया था.
Coronavirus: बेंगलुरु का विक्टोरिया अस्पताल कर्नाटक का सबसे बड़ा अस्पताल है. यहां से एक चौंकाने वाली खबर आई है. यहां छह डॉक्टरों को पिछले तीन महीने के अंदर दूसरी बार कोविड का संक्रमण हुआ है. अब जांच इस बात की हो रही है कि कहीं ये यूनाइटेड किंगडम से शुरू हुए स्ट्रेन की तरह कोरोना का नया स्ट्रेन तो नहीं है. वैसे तो इस मेडिकल कॉलेज के 150 के आसपास पीजी और एमबीबीएस डॉक्टरों को मरीज़ों का इलाज करते हुए कोरोना संक्रमण हो चुका है लेकिन चौंकाने वाली खबर ये है कि अब पांच पीजी के और एक एमबीबीएस इंटर्न को तीन महीने के अंदर दूसरी बार कोविड हो गया है. इनमें से एक ने प्लाज्मा भी डोनेट किया था. कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ के सुधाकर ने कहा कि ''हमने उन सभी का सैम्पल टेस्ट के लिए भेजा है ताकि ये पता चले कि ऐसा क्यों हुआ. कहीं कोरोना का नया एस्ट्रेन तो नही.'' विशेषज्ञ डॉ संतोष सकलेचा कहते हैं कि ''कई बार वायरस में म्यूटेशन की वजह से भी संक्रमण हो सकता है, ऐसा पहले भी हुआ है. हालांकि जांच के बाद ही पता चलेगा.'' कोरोना मरीज़ों का इलाज ज़्यादातर पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे डॉक्टर ही करते हैं. इन्हें हर साल सवा लाख रुपये फ़ीस के भी देने होते हैं. इनकी मांग है कि सरकारी अस्पतालों में अब दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीज़ों का भी इलाज शुरू किया जाए. कोविड स्पेशिलिटी का टैग हटाकर और उन्हें हर महीने कम से कम 10 हज़ार रुपये कोविड भत्ता भी दिया जाए. डॉ सी नम्रता ने कहा कि ''पिछले 10 महीनों से हमें पढ़ाया नहीं जा रहा. हमने कुछ नया नहीं सीखा. फिर भी हमसे फीस ली जा रही है. हमारी फीस माफ की जाए और हमें कोविड भत्ता दिया जाए.'' पीजी की पढ़ाई कर रहे डॉक्टरों को फ्रंटलाइन कोविड वारियर माना जाता है क्योंकि ये संक्रमित मरीज़ों के सबसे नजदीक होते हैं और संक्रमित भी होते हैं. ये लंबे समय से बुनियादी सुविधाओं के लिए सरकार से लड़ रहे हैं लेकिन अब तक इनकी बात नहीं सुनी गई है. लेकिन इसके बावजूद इनके जज़्बे में कमी नहीं आई है.More Related News