कोविड-19 वैक्सीन से क्या आप भयभीत हैं?
AajTak
कोविड-19 वैक्सीन से जुड़े साइड इफेक्ट और मौतों की रिपोर्टों के बाद इस पर लोगों का भरोसा कम हुआ है. लेकिन भारत में कुल टीकाकरण के महज 0.2 प्रतिशत मामलों में इसके विपरीत असर की खबर है.
सोनाली आचार्जी जनवरी की 16 तारीख को जब भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू करने जा रहा था, दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का एक पत्र सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से फैल रहा था. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को संबोधित इस पत्र में डॉक्टरों ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को लेकर अपनी आशंकाएं जाहिर की थीं, जिसने सीरम इंस्टीट्यूट की कोविडशील्ड के मुकाबले अपने ट्रायल को पूरा नहीं किया था. दिन के अंत में स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला कि भारत ने 2,07,229 लोगों को वैक्सीन लगाई जो कि एक दिन का दुनिया का सबसे बड़ा आंकड़ा था. हालांकि यह अपेक्षित लक्ष्य से करीब एक लाख कम था जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइंस के मुताबिक, 3,006 सत्रों में प्रति सत्र 100 लोगों कोवैक्सीन लगनी थी. अगले दिन आंकड़ों में और गिरावट दिखी जब 553 सत्रों में करीब 17,000 स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाई गई. उदाहरण के लिए तमिलनाडु में दूसरे दिन केवल 3,000 कर्मचारियों को वैक्सीन लगाई गई जबकि वहां की क्षमता 15,000 थी. इसी तरह का नजारा राष्ट्रीय राजधानी में रहा जहां एक हजार कर्मचारी जिन्हें वैक्सीन लगनी थी, बूथ पर पहुंचे ही नहीं. दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, “इस पर केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है कि लोग क्यों नहीं आए. रजिस्ट्रेशन के बावजूद यह स्वैच्छिक है. दिल्ली में भी ट्रेंड शेष भारत की तरह ही रहा.”More Related News