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'बांग्लादेश मत भेजो, वहां की हवा ले लेगी जान', कोर्ट ने शरणार्थी को लेकर सुनाया अनूठा फैसला
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अस्थमा से जूझ रहे 40 साल के इस शख्स के लिए पहली बार उसकी बीमारी काम आई है. दरअसल फ्रांस में कोर्ट ऑफ अपील ऑफ बोरडॉक्स ने कहा कि बांग्लादेश के वायु प्रदूषण के चलते इस शख्स की जान भी जा सकती है. इसलिए इसे वापस अपने देश ना भेजा जाए.
ग्लोबल वॉर्मिंग के अलावा वायु प्रदूषण भी मौजूदा दौर के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. देश की राजधानी दिल्ली को अक्सर इस समस्या से दो-चार होना पड़ता है. हालांकि भारत के कई क्षेत्रों के अलावा बांग्लादेश और चीन की हवा के हालात भी कुछ ठीक नहीं है. ऐसा एक बार फिर देखने को मिला जब एक फ्रेंच कोर्ट ने एक बांग्लादेशी शरणार्थी को वायु प्रदूषण के चलते उसके देश भेजने से मना कर दिया. अस्थमा से जूझ रहे 40 साल के इस शख्स के लिए पहली बार उसकी बीमारी काम आई है. दरअसल फ्रांस में कोर्ट ऑफ अपील ऑफ बोरडॉक्स ने कहा कि बांग्लादेश के वायु प्रदूषण के चलते इस शख्स की जान भी जा सकती है. इसलिए इसे वापस अपने देश ना भेजा जाए. इस शरणार्थी के वकील ने द गार्डियन के साथ बातचीत में कहा- मेरी जानकारी के अनुसार, ऐसा पहली बार है जब किसी फ्रेंच कोर्ट ने ऐसे मामलों में पर्यावरण को एक अहम कारण माना है. कोर्ट का मानना है कि बांग्लादेश की हवा की क्वालिटी मेरे क्लाइंट के लिए घातक साबित हो सकती है. बता दें कि ये शख्स साल 2011 में बांग्लादेश से फ्रांस पहुंचा था और टोलुसे में सेटल हो गया था. ये व्यक्ति यहां वेटर के तौर पर काम करने लगा था. इसके बाद इस व्यक्ति को अस्थाई रेसिडेंस परमिट मिल गया था. इस शख्स के अस्थमा के हालातों को देखते हुए इस परमिट के साथ ये भी जोड़ा गया था कि इसे मेडिकल केयर की जरूरत पड़ती रहेगी.More Related News