तानसेन संगीत समारोहः उनके गाने से दिए जलते थे, बारिश होती थी और पत्थर पिघल जाते थे
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तानसेन संगीत समारोह की हर सभा की शुरुआत मध्य प्रदेश के संगीत महाविद्यालयों के नौनिहालों से होती है. इस बार भी शंकर गंधर्व, माधव, तानसेन, साधना और भारतीय संगीत महाविद्यालय, ध्रुपद केंद्र और राजा मानसिंह तोमर संगीत और कला विश्वविद्यालय के छात्रों को अवसर मिला.
अजित राय जिस दौर में जब सारा देश कोविड जैसी महामारी से जूझ रहा हो, तब संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट (ग्वालियर, मध्य प्रदेश) में सैकड़ों किसान मजदूरों का तन्मय होकर शास्त्रीय संगीत सुनते हुए देखना बीते साल का सबसे सुंदर दृश्य हो सकता है. यह दृश्य पूरे भारत में और कहीं नहीं दिखाई देता. आमतौर पर शास्त्रीय संगीत की सभाओं में पढ़ा लिखा शहरी भद्रलोक ही दिखाई देता है. यह मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक तानसेन (1493-1586) के संगीत का जादू है जो उनके जाने के 435 साल बाद भी बरकरार है.More Related News