जहरीली शराब, नाकाम प्रशासन और मरते लोग
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योगी ने सत्ता संभालते ही शराब माफियाओं का नेटवर्क तोड़ने का आदेश अधिकारियों को दिया था. सपा-बसपा की सरकारों में अंग्रेजी शराब के कारोबार में एकाधिकार रखने वालों का नेटवर्क तो टूटा, लेकिन कच्ची और देशी शराब के स्थानीय माफियाओं का नेटवर्क तोड़ने में योगी सरकार नाकाम.
यूपी के बुलंदशहर जिले के थाना सिकंदराबाद के जीतगढ़ी गांव में गुरुवार 7 जनवरी की रात जहरीली शराब पीने से शुक्रवार सुबह पांच लोगों की मौत हो गई. 19 लोगों को गंभीर हालत में बुलंदशहर और दिल्ली के सरकारी व निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया. पांच लोगों की मौत से जिला मुख्यालय से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मच गया. ग्रामीणों ने घटना के बाद मौके पर पहुंचे अफसरों को बताया कि कि आगामी पंचायत चुनाव में खड़े होने वाले कुछ दावेदार बीते एक जनवरी से प्रतिदिन गांव में लोगों को शराब पिला रहे थे. जीतगढ़ी गांव का ही रहने वाला कुलदीप लंबे समय से पुलिस और आबकारी विभाग की शह पर गांव में ही अवैध शराब बेचने का काम कर रहा था. गांव के ही कुछ लोग अक्सर कुलदीप के घर से ही शराब खरीदकर लाते थे. जहरीली शराब पीने से मरने वाले कलुआ के बेटे अनुज ने अफसरों को बताया कि उसके पिता 80 रुपये में पव्वा खरीदकर लाए थे. 7 जनवरी की शाम शराब पीने के बाद उनकी आंखों और सीने में जलन होने लगी. कलुआ को खून की उल्टियां लगने लगीं तो परिजन उसे अस्पताल के लिए लेकर निकले पर रास्ते में ही उसने करीब रात 8.40 बजे दम तोड़ दिया. इसी तरह पांच अन्य लोगों की भी शराब पीने से मौत हो गई. बुलंदशहर जिले में जहरीली शराब कांड के बाद एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने इंस्पेक्टर सिकंदराबाद दीक्षित त्यागी, चौकी इंचार्ज अनोखे पुरी, सिपाही विपिन कुमार और वीरपाल सिंह को निलंबित कर दिया. इनके अलावा आबकारी आयुक्त ने आबकारी इंस्पेक्टर प्रभात वर्धन, सिपाही सलीम अहमद, श्रीकात सोम सहित चार को निलंबित किया है.More Related News