
ज़ुबैर की ज़मानत याचिका पर क़ानूनविदों ने सवाल उठाए, कहा- और नीचे नहीं जा सकती न्याय प्रणाली
The Wire
दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए गए फैक्ट-चेकर मोहम्मद ज़ुबैर पर दर्ज मामले और उनकी हिरासत को लेकर नज़र आ रही स्पष्ट ख़ामियों पर सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश, एक उच्च न्यायलय के जज और वकीलों ने सवाल उठाए हैं.
नई दिल्ली: 2 जुलाई को ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक और पत्रकार मोहम्मद जुबैर की जमानत का फैसला अदालत से पहले पुलिस द्वारा बताए जाने पर सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश ने द वायर से कहा कि ‘आपराधिक न्याय प्रणाली का इससे नीचे जाना मुश्किल है.’ Advocate Soutik Banerjee, Zubair’s lawyer denies the news of the Court denying bail to him. He says “It is extremely scandalous and speaks volume of rule of law in Country that even before Judge has sat, police has leaked to media.” pic.twitter.com/HMzPstLtsI He misheard the exact phrase, "fourteen days' judicial custody"? https://t.co/BCAUZMFS1d ‘दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 468 किसी अदालत के लिए तीन साल या उससे कम की अधिकतम सजा की अवधि वाले दंडनीय अपराधों का संज्ञान लेने के लिए एक सीमा निर्धारित करती है. चूंकि जुबैर के खिलाफ ट्वीट से संबंधित एफआईआर केवल उन अपराधों की थी जिनमें अधिकतम तीन साल या उससे कम की सजा का प्रावधान है, इसलिए इस एफआईआर का कोई उद्देश्य नहीं बनता, क्योंकि अदालत उन आरोपों का संज्ञान नहीं ले सकती है.’ ‘वैसे भी सीआरपीसी की धारा 41 ए स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार को लागू करने का केवल एक तरीका है- सिद्धांत यह है कि सात साल या उससे कम अवधि के अपराधों में गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए. ऐसी गिरफ्तारी या हिरासत को रोकने का कर्तव्य मजिस्ट्रेटों पर है. इस मामले में हिरासत का आदेश- पहले पुलिस हिरासत, बाद में यह न्यायिक हिरासत- संवैधानिक सिद्धांत, अदालतों के आदेशों में हुई उसकी पुनरावृत्ति और निश्चित तौर पर कानून की उपेक्षा करता है.’
मालूम हो कि शनिवार को दिल्ली की एक अदालत ने मोहम्मद जुबैर को जमानत देने से इनकार कर दिया. दिल्ली पुलिस ने 27 जून को जुबैर को उनके साल 2018 में किए गए एक ट्वीट से कथित रूप से धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में आईपीसी की धारा 153ए और 295ए के तहत गिरफ्तार किया था. — Live Law (@LiveLawIndia) July 2, 2022 — Gautam Bhatia (@gautambhatia88) July 2, 2022
ज़ुबैर के ख़िलाफ़ पुलिस में दर्ज एफआईआर में कहा गया था, ‘हनुमान भक्त (@balajikijaiin) नामक ट्विटर हैंडल से, मोहम्मद ज़ुबैर (@zoo_bear) के ट्विटर हैंडल द्वारा किए गए एक ट्वीट को साझा किया गया था जिसमें जुबैर ने एक फोटो ट्वीट किया था. जिस पर साइनबोर्ड पर होटल का नाम ‘हनीमून होटल’ से बदलकर ‘हनुमान होटल’ दिखाया गया था. तस्वीर के साथ जुबैर ने ‘2014 से पहले हनीमून होटल… 2014 के बाद हनुमान होटल…’ लिखा था.’
मालूम ही कि यह फोटो 1983 की ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘किसी से न कहना‘ के एक दृश्य का स्क्रीनशॉट था.