
हैदराबाद से आदिलाबाद तक का बेल्ट, जहां ओवैसी फैमिली के आगे किसी की नहीं चलती!
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असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी तेलंगाना में नौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है लेकिन बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक, हर दल के निशाने पर एआईएमआईएम प्रमुख हैं. इसकी वजह क्या यही वजह है कि ओवैसी की पार्टी का बीआरएस के साथ गठबंधन है या वजह ओवैसी फैमिली का इम्पैक्ट है?
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत चार राज्यों में मतदान के बाद नजरें अब दक्षिण के महत्वपूर्ण राज्य तेलंगाना पर है. तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों के लिए 30 नवंबर को वोट डाले जाने हैं जिसके लिए चुनाव प्रचार 28 नवंबर की शाम 5 बजे थम जाएगा. चुनाव प्रचार के लिए अब महज दो दिन का वक्त बचा है और सूबे की सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस ने भी पूरी ताकत झोंक दी है. सियासी दलों की बयानी जंग प्रचार का अंतिम चरण आते-आते तल्ख हो चुकी है.
तेलंगाना में 'सियासी यार' पर घमासान मचा है तो वहीं बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही दलों के निशाने पर असदुद्दीन ओवैसी हैं. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर बीजेपी के बड़े नेताओं तक, सभी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर हमला बोल रहे हैं. राहुल गांधी ने अदिलाबाद में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा- मोदीजी के हैं दो यार, ओवैसी और केसीआर. बीजेपी के नेता भी ओवैसी पर हमले का कोई मौका नहीं चूक रहे. एआईएमआईएम एक दर्जन सीटों पर भी चुनाव नहीं लड़ रही, ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी के निशाने पर ओवैसी क्यों? इसे लेकर चर्चा चल रही है.
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इसे समझने के लिए ओवैसी फैमिली के पॉलिटिकल इम्पैक्ट, एआईएमआईएम के मजबूत गढ़ और तेलंगाना की मुस्लिम और गठबंधन पॉलिटिक्स की चर्चा जरूरी है. असदुद्दीन ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी हैदराबाद लोकसभा सीट से छह बार सांसद रहे. 2004 में सलाहुद्दीन ओवैसी ने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था. इसके बाद पिता की सियासी विरासत असदुद्दीन ओवैसी ने संभाली. वह भी लोकसभा में हैदराबाद सीट का ही प्रतिनिधित्व करते हैं. ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी भी सियासत में सक्रिय हैं.
अकबरुद्दीन भी विधायक हैं. एआईएमआईएम का बीआरएस के साथ गठबंधन है. ओवैसी की पार्टी का सत्ताधारी गठबंधन का अंग होना दोनों विपक्षी पार्टियों के हमले की एक वजह है ही, एक वजह वोट बैंक भी है. राहुल गांधी ने केसीआर पर वार के लिए आदिलाबाद को चुना जिसे एआईएमआईएम का मजबूत गढ़ माना जाता है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक आदिलाबाद जिले में 10 फीसदी मुस्लिम आबादी है. हालांकि, आदिलाबाद शहर में मुस्लिम आबादी 35 फीसदी के करीब है.
ओवैसी की पार्टी का इन इलाकों में मजबूत इम्पैक्ट

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