हुबली ईदगाह में गणेश चतुर्थी मनाने के फैसले से अंजुमन इस्लाम नाखुश, सिंगल बेंच के आदेश को जल्द देगा चुनौती
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कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के बाद बुधवार को हुबली के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी उत्सव की शुरुआत कर दी गई है. वैदिक मंत्रोच्चार के बीच श्रीराम सेना प्रमुख प्रमोद मुतालिक ने अपने समर्थकों के साथ भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की और पूजा अर्चना की. इस दौरान ईदगाह मैदान में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए. हाई कोर्ट ने मंगलवार रात सुनवाई के दौरान गणेश चतुर्थी के जश्न की अनुमति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था.
हुबली ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी उत्सव मनाने के कर्नाटक हाईकोर्ट की धारवाड़ एकल खंडपीठ के फैसले को चुनौती देने की तैयारी चल रही है. मुस्लिम संगठन अंजुमन ए इस्लाम दो-तीन दिन के भीतर इस आदेश के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट में फिर से रुख करेगा. वहीं अंजुमन ए इस्लाम हुबली ईदगाह में गणेश उत्सव मनाने की अनुमति देने वाले निगम आयुक्त के खिलाफ 1 सितंबर को मजिस्ट्रेट कोर्ट में याचिका दायर करेगा.
मुस्लिम संगठन के वकील के अनुसार वह हुबली ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह को नहीं रोकना चाहते थे, लेकिन वह यह नहीं चाहते कि यह प्रथा आगे बढ़े. उनका कहना है कि धार्मिक स्थलों को अन्य धार्मिक स्थलों में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है. यह भावनाओं के खिलाफ है.
हाई कोर्ट ने हुबली मेयर के आदेश को रखा बरकरार
कर्नाटक हाईकोर्ट की धारवाड़ बेंच ने मंगलवार को हुबली मेयर के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें हुबली ईदगाह मैदान पर गणेश चतुर्थी उत्सव मनाने की अनुमति दी थी. कोर्ट ने हुबली मेयर के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया था. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के चमराजपेट ईदगाह मैदान पर आए फैसले को देखते हुए अंजुमन-ए-इस्लाम ने कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया था और गणेश चतुर्थी उत्सव मनाने पर रोक लगाने की मांग की थी.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि हुबली ईदगाह मैदान का मामला कर्नाटक ईदगाह जैसा मालिकाना हक का विवाद नहीं है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में फैक्ट अलग हैं. ऐसे में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का बेंगलुरु ईदगाह मैदान पर दिया फैसला लागू नहीं हो सकता और न ही मुस्लिम पक्ष अंजुमन ए इस्लाम को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का लाभ मिल सकता है.
हाईकोर्ट ने कहा कि हुबली में ईदगाह मैदान हुबली नगर निगम का है और यह भूमि अंजुमन-ए-इस्लाम को 999 सालों के लिए पट्टे पर दी गई है. ऐसे में अभी भी नगर निगम पर भूमि के उपयोग का अधिकार है.
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