
हिटलर के दौर में नाजियों के मौत के चंगुल से बच निकलने वाली महिलाओं की कहानी
BBC
ये उन महिलाओं की कहानी है, जो नाजियों के अत्याचारों के खिलाफ प्रतिरोध की आवाज़ बन गई थीं. इनमें से सभी अविश्वसनीय रूप से बहादुर थीं. जानिए कैसे इन महिलाओं ने अतीत के उन खौफनाक पलों का सामना किया.
वेन स्ट्रॉस को उनकी दादी ने बताया था कि 1945 में नाजियों की ओर से मौत की राह में डाल दिए जाने के बाद कैसे उन्होंने नौ महिलाओं का एक प्रतिरोध दल बनाया था और कैसे उन्होंने इससे बच निकलने कोशिश की थी.
वेन इस बारे में और जानना चाहती थीं. सयह उन्हें स्मृतियों के ऐसे रास्ते पर ले चलती है जहां वह, यह सुनिश्चित करती हैं कि उन महिलाओं की बहादुरी और संघर्ष की कहानी को 75 साल बाद मान्यता मिल सके.
वेन स्ट्रॉस 83 साल की अपनी दादी, हेलेन पोडलियास्की के साथ पूरी तसल्ली से दोपहर के भोजन का आनंद ले रही थीं. हेलेन फ्रांसीसी नागरिक थीं और वेन एक अमेरिकी मूल की लेखक जो फ्रांस में रहती हैं.
यह साल 2002 की बात थी, जब दोनों के बीच बातचीत ने हेलेन के अतीत का रुख़ कर लिया. वेन यह तो जानती थी कि उनकी महान चाची ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस में हुए प्रतिरोध में हिस्सा लिया था लेकिन वह उनकी ज़िंदगी के इस दौर को लेकर पूरी तरह अनभिज्ञ थीं.
हेलेन संघर्ष भरी अपनी अतीत की कहानी बताने लगीं कि कैसे उन्हें गेस्टापो ने पकड़ लिया, यातनाएं दीं और जर्मनी के एक यातना शिविर में निर्वासित कर दिया.