हिज्बुल्लाह का फरमान, इजरायल का 'सीक्रेट हथियार'... और दुनिया देख रही है जंग का सबसे लेटेस्ट अवतार!
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यकीन मानिए 17 सितंबर की दोपहर लेबनान के अलग-अलग शहरों और सीरिया के कुछ इलाक़ों में जो कुछ हुआ वो इस सदी का सबसे बड़ा हमला और सबसे बड़ी और अनोखी साज़िश थी. एक ऐसी साज़िश.. जिसमें एक साथ 3 हजार लोगों के हाथों में बम थमा दिया गया था.
Lebanon Pager Serial Blasts Conspiracy: पूरी दुनिया में लेबनान से पहले इतने बड़े पैमाने पर सीरियल ब्लास्ट कहीं नहीं हुए. इन धमाकों से पूरी दुनिया हैरान है. और सबसे बड़ी हैरानी इस बात को लेकर है कि इन धमाकों को अंजाम कैसे दिया गया? लेबनान के आधा दर्जन शहरों में 17 सितंबर की दोपहर ठीक साढ़े तीन बजे 3000 पेजर पर एक मैसेज आता है और उसी मैसेज के साथ पेजर में धमाका हो जाता है. एक बाद एक कई हजारों पेजर किसी बम की तरह फट जाते हैं. हर कोई सन्न रह जाता है. आइए आपको बताते हैं दुनिया के सबसे नए जंगी हथियार की पूरी कहानी.
सबसे बड़ी और अनोखी साज़िश अगर 2020 का कोरोना एक साज़िश थी और कोरोना वायरस को एक बायो-वेपन की तरह इस्तेमाल किया गया था, तो वो इस सदी की सबसे बड़ी साज़िश थी. लेकिन अगर ऐसा नहीं था, तो फिर यकीन मानिए 17 सितंबर की दोपहर लेबनान के अलग-अलग शहरों और सीरिया के कुछ इलाक़ों में जो कुछ हुआ वो इस सदी का सबसे बड़ा हमला और सबसे बड़ी और अनोखी साज़िश थी. एक ऐसी साज़िश.. जिसमें एक साथ 3 हजार लोगों के हाथों में एक ऐसा बम थमा दिया गया था, जिन्हें लोगों ने अपनी मर्जी से या तो अपनी जेबों में रख रखा था, कमर में लगा रखा था या हाथों में उठा रखा था. पेजर की शक्ल में.
एक साथ तीन हजार पेजर में धमाके इसके बाद जैसे ही दोपहर के साढ़े 3 बजते हैं, अचानक एक साथ उन्हीं 3 हजार पेजर पर एक मैसेज आता है और इस एक रहस्यमयी मैसेज के साथ ही बीप की आवाज़ आनी शुरू हो जाती है. फिर जैसे ही बीप की आवाज़ खामोश होती है, अचानक धमाका होता है. एक साथ तीन हजार धमाके. दुनिया में शायद ही इससे पहले इतनी बड़ी तादाद में इतने बड़े इलाके में एक साथ इतने बड़े पैमाने पर धमाके हुए हों. लेबनान के करीब आधा दर्जन शहर का शायद ही कोई बाज़ार, दुकान, मॉल, घर, दफ्तर, सड़क, मोहल्ला बचा हो, जहां ये धमाके ना हुए हों. क्योंकि अलग-अलग शहर के अलग-अलग इलाक़ों में एक साथ 3 हज़ार लोग अनजाने में पेजर की शक़्ल में बम लिए घूम रहे थे.
खूनी साजिश के पीछे आया 'मोसाद' का नाम उधर, लेबनान में ये धमाका होता है, इधर अचानक पूरी दुनिया में हरेक के जेहन और जुबान पर इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद का नाम तैरने लगता है, किसी साई फाई या जासूसी फिल्मों की तरह इतनी सटीक और खतरनाक साजिश मोसाद ही रच सकता था. सीरियल धमाकों की ऐसी साजिश जिसके बारे में 17 सितंबर की दोपहर से पहले कोई सोच भी नहीं सकता था. कोई सोच भी नहीं सकता था कि मोबाइल के दौर में कोई पेजर को भी बम बना सकता है. पर यहां सोचने वाली बात ये थी कि साल 2000 के आते-आते जिस पेजर को मोबाइल खा चुका था, जो पेजर भूली बिसरी यादें बन चुका था, जिस पेजर का इस्तेमाल दुनिया ने बंद कर दिया था, वही पेजर लेबनान में एक साथ तीन हजार लोगों के हाथों या जेबों में क्यों था? तो इस पेजर बम की कहानी यहीं से शुरू होती है.
हिज्बुल्लाह के सदस्यों को मिला था ये फरमान बात इसी साल 13 फरवरी की है. हिज्बुल्लाह के सेक्रेटरी जनरल हसन नसरुल्लाह ने टीवी पर हिज्बुल्लाह के तमाम सदस्यों को चेतावनी दी थी. चेतावनी ये कि हिज्बुल्लाह का हर मेंबर अपने मोबाइल फोन को या तो तोड़ दे, दफ्ना दे या लोहे के बक्से में रख कर उस पर ताला लगा दे. नसरुल्लाह ने मोबाइल से ये दूरी इसलिए बनाने को कहा था, क्योंकि उन्हें ये खबर मिली थी कि मोसाद मोबाइल के जरिए हिज्बुल्लाह के बड़े बड़े टारगेट का लोकेशन पता कर ड्रोन के जरिए उन पर हमला कर रहा है. और इस हमले में हिज्बुल्लाह के कई मेंबर और कमांडर मारे गए थे.
हिज्बुल्लाह ने लगाई थी मोबाइल के इस्तेमाल पर रोक दरअसल, नई तकनीक के तहत मोबाइल के जरिए आज किसी का भी करेंट या लाइव लोकेशन आसानी से पता लगाया जा सकता है. जैसे अपने देश की पुलिस भी क्राइम सीन पर क्रिमिनल की मौजूदगी का पता उसके मोबाइल की लोकेशन से पता लगा लेती है. यानी कुल मिला कर मोबाइल एक ऐसा हथियार है, जो आपके हर राज़ को आम कर सकता है. और बस इसीलिए नसरुल्लाह ने हिज्बुल्लाह के हर मेंबर और कमांडर को मोबाइल तोड़ कर फेंक देने या दफ्ना देने के लिए कहा था, ताकि मोसाद मोबाइल के जरिए उन तक ना पहुंच सके.
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