हाईकोर्ट के जुर्माना लगाने के फ़ैसले पर शीर्ष अदालत को हमेशा हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए: कोर्ट
The Wire
सुप्रीम कोर्ट ने ने न्यायाधीशों के खिलाफ कुछ आरोप लगाने वाले एक अधिवक्ता पर जुर्माना लगाने के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि कई बार अधिवक्ताओं को अनुशासित करने के लिए जुर्माना लगाया जाता है और शीर्ष अदालत को उन फैसलों में दखल देकर उन्हें कमजोर नहीं करना चाहिए.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि न्यायाधीशों के खिलाफ निराधार आरोप लगाने वाले अधिवक्ताओं पर जुर्माना लगाने के उच्च न्यायालय के आदेशों में शीर्ष अदालत को हमेशा हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
शीर्ष अदालत ने कहा कि जब भी जुर्माना लगाने के उनके आदेश को रद्द कर दिया जाता है या संशोधित किया जाता है तो उच्च न्यायालयों को लगता है कि वे अनुशासन पर नियंत्रण खो रहे हैं.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने न्यायाधीशों के खिलाफ कुछ आरोप लगाने वाले एक अधिवक्ता पर जुर्माना लगाने के राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया.
आदेश पत्र में अपना नाम न मिलने पर न्यायाधीशों के खिलाफ कुछ आरोप लगाने के बाद उच्च न्यायालय ने अधिवक्ता पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया था. अधिवक्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि संबंधित वकील जिसके खिलाफ उच्च न्यायालय ने जुर्माना लगाया है, वह युवा हैं और उन्होंने अनजाने में गुस्से में आकर इस तरह के ‘अपमानजनक’ बयान दिए हैं.