
हाईकोर्ट की पाबंदी के बावजूद मायावती की पार्टी करेगी ब्राह्मण सम्मेलन, सरकार की मंशा पर भी उठ रहे सवाल
ABP News
साल 2013 में पीआईएल दाखिल करने वाले मोती लाल यादव ब्राह्मण सम्मेलन पर रोक की मांग को लेकर यूपी के चीफ सेक्रेट्री और अयोध्या के डीएम व एसएसपी को पहले ही लेटर भेज चुके हैं.
Mayawati Brahmin convention in Ayodhya: मायावती की पार्टी बीएसपी कल से उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण सम्मेलन की शुरुआत करने जा रही है. भगवान राम की नगरी अयोध्या में होने वाले पहले सम्मेलन के ज़रिये बीएसपी जहां ब्राह्मणों वोटरों को रिझाने की कोशिश करेगी, वहीं विधानसभा चुनावों के लिए इसे मायावती के शंखनाद के तौर पर भी देखा जा रहा है. हालांकि बीएसपी के इस ब्राह्मण सम्मेलन पर विवाद खड़ा हो गया है, क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी में सियासी पार्टियों के जातीय सम्मेलनों व रैलियों पर पाबंदी लगा रखी है. ऐसे में मामला एक बार फिर से न सिर्फ अदालत की दहलीज तक जा सकता है, बल्कि इस पर कोर्ट या सरकार रोक भी लगा सकती है. यूपी में चार बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज़ हो चुकी मायावती की बहुजन समाज पार्टी कल 23 जुलाई को अयोध्या में ब्राह्मणों के सम्मेलन का आयोजन कर सूबे में कुछ महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंकने जा रही है. हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक के बावजूद एक जाति विशेष का यह सम्मेलन कैसे होगा, इस पर विवाद भी है और सवाल भी. हाईकोर्ट के आदेश की फ़िक्र न तो बीएसपी को है और न ही उस योगी सरकार को, जिस पर आदेश का पालन कराने की ज़िम्मेदारी है. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 11 जुलाई साल 2013 को मोती लाल यादव द्वारा दाखिल पीआईएल संख्या 5889 पर सुनवाई करते हुए यूपी में सियासी पार्टियों द्वारा जातीय आधार पर सम्मेलन-रैलियां व दूसरे कार्यक्रम आयोजित करने पर पाबंदी लगा दी थी. जस्टिस उमानाथ सिंह और जस्टिस महेंद्र दयाल की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि सियासी पार्टियों के जातीय सम्मेलनों से समाज में आपसी मतभेद बढ़ते हैं और यह निष्पक्ष चुनाव में बाधक बनते हैं.More Related News