
हसन अली से टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफ़ाइनल में वेड का कैच छूटना पाकिस्तान की हार का टर्निंग पॉइन्ट क्यों नहीं था?
BBC
बड़े इवेंट के हाई प्रेशर मैचों में एक-एक गेंद क़ीमती होती है. हर शॉट अहम होता है. हर फ़ील्ड मूवमेंट मायने रखता है. लेकिन पूरे मैच के नतीजे की ज़िम्मेदारी एक कैच पर रख देना समझदारी नहीं है.
साल 2015 के विश्व कप के क्वार्टर फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ वहाब रियाज़ का वह ऐतिहासिक स्पेल अभी भी कई लोगों के दिमाग़ में ताज़ा है, जब वे ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ों के लिए एक बुरा सपना बने हुए थे और आक्रामक ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ी डरी हुई थी.
और फिर अचानक राहत अली ने वॉटसन का कैच छोड़ दिया. इसके बाद वॉटसन ही दोनों पारियों के बीच का अंतर साबित हुए.
बड़े इवेंट के हाई प्रेशर मैचों में एक-एक गेंद क़ीमती होती है. हर शॉट अहम होता है. हर फ़ील्ड मूवमेंट मायने रखता है. लेकिन पूरे मैच के नतीजे की ज़िम्मेदारी एक कैच पर रख देना समझदारी नहीं है.
क्रिकेट का पारंपरिक मुहावरा 'कैचेज़ विन मैचेज़' अपनी जगह ठीक है, लेकिन अगर इस पूरे मैच को इस मुहावरे के आधार पर आंका जाता है, तो फिर सैद्धांतिक रूप से यहाँ पाकिस्तान के बजाय ऑस्ट्रेलिया हारने का हक़दार होता, जिन्होंने एक नहीं, बल्कि तीन कैच छोड़े.
निस्संदेह, मैक्सवेल का विकेट लेने के बाद पाकिस्तान ने मैच पर अपनी पकड़ मज़बूत कर ली थी, लेकिन 40 ओवर के मैच में केवल उस ड्रॉप कैच को टर्निंग प्वाइंट कहना शॉर्ट टर्म मेमोरी होगी.