हवाला क्या है, ये धंधा कहां से शुरू हुआ, कितना बड़ा है इसका कारोबार
BBC
करोड़ों रुपये इधर से उधर करने वाला सदियों से बदस्तूर जारी ग़ैर पारंपरिक हवाला कारोबार आखिर काम कैसे करता है?
रुपये को दुनिया के एक हिस्से से दूसरी जगह ट्रांसफर करना और वो भी बग़ैर उसे हिलाए हुए. इसके लिए न तो बैंकों की ज़रूरत है न ही करेंसी एक्सचेंज की, न तो कोई फॉर्म भरना है और ना ही फ़ीस देनी है. होगा तो एक वो जो रुपये भेजेगा दूसरा वो जिसके पास रुपये आएंगे और बीच में कम से कम दो मध्यस्थ.
ये हवाला कारोबार है जो पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम आने से बहुत पहले भी था. और अपने इस्तेमाल करने में आसानी और संलिप्त लोगों को मिलने वाले कई फायदे की वजह से सदियों से चला आ रहा है. इसके ज़रिए दुनिया भर में लाखों डॉलर इधर से उधर किए जा सकते हैं, यह जाने बग़ैर कि राशि कितनी है और इसे नियंत्रित कौन कर रहा है.
रुपये को दुनिया की एक जगह से दूसरे पर ग़ैरक़ानूनी रूप से हस्तांतरण का नाम ही हवाला है और इसमें सबसे अहम भूमिका एजेंट या बिचौलिए या जिसे मध्यस्थ कह सकते हैं, उसकी होती है. क्योंकि ये बिचौलिए शायद ही कभी किसी लेन देन का रिकॉर्ड छोड़ते हैं. तो ये वो हैं जो हवाला के ज़रिए रुपया कहां से निकल कर कहां पहुंच रहा है इसे पता लगाने में सबसे बड़ी बाधा होते हैं. और ख़ुद को संभावित मनी लॉन्डरिंग (धन शोधन), नशीले पदर्थों की तस्करी (ड्रग ट्रैफिकिंग) और चरमपंथी संगठनों के वित्तपोषण के लिए भी भाड़े पर दे सकते हैं.
मैड्रिड के पॉन्टिफिसिया कोमिला यूनिवर्सिटी में इंटरनैशनल स्टडीज़ के प्रोफ़ेसर अल्बर्टो प्रीगो मोरेनो ने बीबीसी मुंडो को बताते हैं, "हालांकि हवाला ख़ुद इन गतिविधियों ने नहीं जुड़ा है, यह ग़लत उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक साधन हो सकता है."
वास्तव में यह फ़ारस की खाड़ी, पूर्वी अफ़्रीका, दक्षिण अफ़्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया में फैला हुआ है.