
हवन या यज्ञ करते समय मंत्र के बाद क्यों कहते हैं स्वाहा? यहां जानें इसका कारण
Zee News
घर में या मंदिर में कभी भी यज्ञ या हवन करते समय क्या कभी आपके मन में भी यह सवाल आया है कि आखिर हर बार हवन में आहुति डालते वक्त मंत्र उच्चारण के बाद स्वाहा क्यों कहा जाता है? इस सवाल का जवाब यहां जानें.
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में कोई भी अनुष्ठान या शुभ कार्य हवन (Hawan) के बिना पूरा नहीं माना जाता. फिर चाहे घर में सत्यनारायण भगवान की कथा (Satyanarayan katha) कर रहे हों, या फिर किसी नए काम की शुरुआत, पूजा के बाद हवन अवश्य होता है. नवरात्रि (Navratri) का समय चल रहा है और इस दौरान रोजाना भले ही आप हवन न करें लेकिन नवमी के दिन हवन अवश्य होता है. हवन करने के दौरान जितनी बार आहुति डाली जाती है उतनी बार स्वाहा (Swaha) कहा जाता है. आखिर इसका कारण क्या है, इस बारे में यहां जानें. दरअसल, स्वाहा का मतलब होता है सही रीति से पहुंचाना. मंत्रों का उच्चारण (Mantra) करते हुए जब हवन सामग्री को अग्नि में आहुति के रूप में डाला जाता है तो स्वाहा कहकर उसे ईश्वर को अर्पित किया जाता है. कोई भी यज्ञ या हवन () तभी सफल माना जाता है जब हवन में डाली जा रही आहुति यानी हवन सामग्री (Aahuti) को देवता ग्रहण कर लें और ऐसा तभी होता है जब स्वाहा कहकर उसे देवताओं को अर्पित किया जाता है. अग्नि, मनुष्य को देवताओं से जोड़ने का एक तरह से माध्यम है और मनुष्य फल, शहद, घी, हवन सामग्री जो भी ईश्वर तक पहुंचाना चाहता है उसे अग्नि के माध्यम से आहुति देकर पहुंचाता है.More Related News