हरियाणा के चरखी दादरी में 25 साल पहले कैसे टकरा गए थे दो विमान?
BBC
बाद में हुई जांच में पता चला कि दोनों विमानों के टकराने से ठीक चार सेकंड पहले, कज़ाकिस्तान के जहाज़ ने सऊदी विमान को सामने देखा था. क्या थे इस दर्दनाक हादसे के कारण?
12 नवंबर, 1996 की उस शाम को, सऊदी एयरलाइंस की एक उड़ान ने हमेशा की तरह दिल्ली हवाई अड्डे से उड़ान भरी. मौसम साफ़ था और हवा भी शांत थी और कोई भी ऐसा संकेत नहीं था, जिससे पता चल सकता कि कुछ ही पल में हज़ारों फ़ीट की ऊंचाई पर लगभग 350 यात्रियों सहित ये विमान चकनाचूर हो जायेगा.
क़रीब 500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ते हुए बोइंग 747 कुछ ही मिनटों में 14 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर पहुंच गया था और इसने दिल्ली एयरपोर्ट एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से और भी ऊपर जाने की इजाज़त मांगी. लेकिन एटीसी ने उसे उसी ऊंचाई पर रहने का निर्देश दिया.
उन दिनों दिल्ली हवाई अड्डे का रनवे वन-वे था (यानी प्रस्थान और आगमन दोनों रनवे के एक ही तरफ़ से होता था). उसी समय, क़ज़ाकिस्तान का एक विमान आईएल-76 विपरीत दिशा से 15 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर दिल्ली की तरफ़ आ रहा था. दिल्ली एटीसी ने उसे 'एफ़एल 150' यानी 15 हज़ार फ़ीट, पर बने रहने का निर्देश दिया.
एटीसी ने क़ज़ाकिस्तान के विमान को यह भी बताया कि बिलकुल विपरीत दिशा में सऊदी एयरलाइंस की उड़ान केवल दस मील दूर है और मुमकिन है कि अगले पांच मील में क़ज़ाकिस्तान के विमान को पार करेगी. एटीसी ने आगे निर्देश दिया कि 'रिपोर्ट, इफ़ इन साइट' यानी अगर ये विमान दिखाई दे तो एटीसी को इसकी सूचना दी जाए.
क़ज़ाकिस्तान के विमान ने दोबारा दूरी तय की. एटीसी ने जवाब दिया कि 'ट्रेफिक अब आठ मील दूर है और 14 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर है."