
हरिद्वार धर्म संसद: विवादित बयानों पर गिरफ़्तारी क्यों नहीं हुई, क़ानूनी जानकारों ने उठाए सवाल
BBC
क़ानून के जानकारों का कहना है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए गिरफ़्तारियां भी फ़ौरन ही होनी चाहिए थी. इसके साथ ही जिस तरह के हिंसक और भड़काऊ बयान दिये गए हैं, उनके आधार पर और दूसरी धाराएं भी जोड़ी जानी चाहिए थीं.
भारतीय दंड संहिता की जिस धारा 153ए के तहत हरिद्वार में हुए 'धर्म संसद' में दिए गए विवादित बयानों को लेकर जो प्राथमिकी दर्ज की गई है वो एक ग़ैर ज़मानती धारा है.
क़ानून के जानकारों का कहना है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए गिरफ़्तारियां भी फ़ौरन ही होनी चाहिए थी. इसके साथ ही जिस तरह के हिंसक और भड़काऊ बयान दिये गए हैं, उनके आधार पर और दूसरी धाराएं भी जोड़ी जानी चाहिए थीं.
उत्तराखंड के हरिद्वार में इस महीने की 17 तारीख़ से लेकर 19 तारीख़ तक एक 'धर्म संसद' का आयोजन किया गया था.
वहाँ मौजूद लोगों के 'विवादित भाषणों' के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जिसमें वक्ता 'धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने, 2029 तक मुस्लिम प्रधानमंत्री न बनने देने, मुस्लिम आबादी न बढ़ने देने और हिंदू समाज को शस्त्र उठाने का आह्वान करने जैसी बातें करते नज़र आ रहे हैं.'
हरिद्वार की घटना पर विदेशों से भारत के लिए आ रही ऐसी प्रतिक्रिया