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'हमेशा मुश्किल काम करें और किसी की नकल न करें...', साहित्यकार राजाराम का युवाओं को संदेश
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साहित्यकार राजाराम ने युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि मैंने अपने शुरुआती दौर में कभी भी कोई आसान काम नहीं किया. कभी किसी की नकल नहीं की. उन्होंने कहा कि कभी नकल नहीं करनी चाहिए. यह सोचकर काम करना चाहिए जो काम दूसरे नहीं कर सकते, वह हमें करना चाहिए.
95 साल के साहित्यकार राजाराम जैन को पद्मश्री सम्मान देने का ऐलान किया गया है. वह इसका ऐलान होने के बाद बहुत खुश हैं. उन्होंने कहा कि ये सब बरसों पुराना सपना साकार होने जैसा है. साथ ही कहा कि उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि उनको इतना बड़ा सम्मान मिलेगा.
साहित्यकार राजाराम बताते हैं कि उनके गुरुजनों ने उनसे कहा था कि कभी कोई मामूली काम मत करना. सर्वश्रेष्ठ काम करना, राजाराम जैन का मानना है कि सम्मान कम करने से मिलता है और ऐसा काम करना चाहिए जो कठिन से कठिन हो, जिसे लोग आसानी से समझ भी नहीं सकते, ऐसा काम करना चाहिए.
पद्मश्री राजाराम ने युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि मैंने अपने शुरुआती दौर में कभी भी कोई आसान काम नहीं किया. कभी किसी की नकल नहीं की. उन्होंने कहा कि कभी नकल नहीं करनी चाहिए. यह सोचकर काम करना चाहिए जो काम दूसरे नहीं कर सकते, वह हमें करना चाहिए. राजाराम जैन ने बताया कि उन्होंने कभी किसी राजनीतिक गुट के दबाव में काम नहीं किया.
राजाराम बताते हैं कि उनके इस अवॉर्ड को जीतने के पीछे उनके परिवार, उनकी दोनों बेटियां और पत्नी का पूरा सहयोग है. राजाराम की बेटी रश्मि जैन ने बताया कि उनके पिता ने लगभग 45 किताबें लिखी हैं. जब उनको यह सम्मान मिला और हमारे पास यह फोन आया कि उन्हें ये सम्मान मिल रहा है तो खुशी की वजह से आंसू नहीं रुक रहे थे. रश्मि जैन ने ये भी बताया कि उन्होंने कठिन परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई पूरी की.
पति राजाराम को जब इतना बड़ा सम्मान मिला तो पत्नी विद्यावती अपने आंसू रोक नहीं पाईं. उन्होंने बताया कि यह खुशी के आंसू हैं. उन्होंने बताया कि हमने कभी उम्मीद भी नहीं की थी कि पति को यह सम्मान मिलेगा. विद्यावती ने कहा कि उन्होंने राजाराम से शादी की, तब से संघर्ष कर रही हैं. लेकिन आज संघर्ष का फल मिला है और वह बेहद खुश हैं. विद्यावती ने कहा कि उन्होंने हमेशा अपने पति का सहयोग किया है. विद्यावती की शादी जब राजाराम जैन से हुई थी, तब वह सिर्फ नौवीं क्लास पास थीं लेकिन आज विद्यावती डबल एमए गोल्ड मेडलिस्ट और पीएचडी हैं.
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