हथौड़ा गैंग: कहानी कराची की सड़कों पर दहशत फैलाने वाले गैंग की
BBC
साल 1985-86 में पैदा हुई डर और आतंक की यह कहानी एक से दो साल के समय में दर्जनों मौतों की ऐसी कहानी है, जिसे याद करके कराची के लोग आज भी कांप जाते हैं.
"उसने पिस्तौल निकाल ली थी... लेकिन मेरे बगल में खड़े अफ़सर ने कुल्हाड़ी से उस कार का शीशा तोड़ दिया... और हमने उसे क़ाबू में कर लिया."
कर्नल (सेवानिवृत्त) सईद ने इस महत्वपूर्ण गिरफ़्तारी का नक़्शा खींचते हुए हमें बहुत ही जोशीले अंदाज़ में बताया.
पाकिस्तान सेना के स्पेशल सर्विस ग्रुप (एसएसजी) के पूर्व अधिकारी कर्नल सईद, जो सिंध और बलूचिस्तान पुलिस में डीआईजी के पद भी संभाल चुके हैं, अब काफ़ी बूढ़े हो चुके हैं, लेकिन इस उम्र में भी उनकी याददाश्त कमाल की है.
कर्नल सईद मुझे जिस गिरफ़्तारी के बारे में बता रहे थे, उसने कराची में ख़ौफ़ और दहशतगर्दी की डरावनी घटनाओं की एक भयानक श्रृंखला 'हथौड़ा गैंग' का ख़ात्मा कर दिया था.
साल 1985-86 में पैदा हुई डर और आतंक की यह कहानी एक से दो साल के समय में दर्जनों मौतों की ऐसी कहानी है, जिसे याद करके कराची के लोग आज भी कांप जाते हैं.