'हत्या से गंभीर है राष्ट्रीय सुरक्षा...', HC ने खारिज की ISI को दस्तावेज भेजने वाले ब्रह्मोस इंजीनियर की याचिका
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पूर्व ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंजीनियर पर पाकिस्तान की ISI को संवेदनशील तकनीकी जानकारी लीक करने का आरोप था. नागपुर में कंपनी के मिसाइल केंद्र के तकनीकी अनुसंधान अनुभाग में कार्यरत अग्रवाल को 2018 में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के सैन्य खुफिया और आतंकवाद निरोधी दस्तों (एटीएस) द्वारा एक संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया था.
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने मंगलवार को ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व इंजीनियर की उम्रकैद की सजा को सस्पेंड करने से इनकार करते हुए कहा कि 'जब राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला सामने आता है, तो यह हत्याओं के मामलों की तुलना में अधिक गंभीर होता है, ऐसे में हम राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का जोखिम नहीं उठा सकते.'
जानें क्या है मामला जस्टिस विनय जोशी और वृषाली जोशी की बेंच पूर्व ब्रह्मोस इंजीनियर निशांत अग्रवाल की जमानत याचिका की सुनवाई कर रही थी. निशांत को नागपुर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. अग्रवाल पर 2018 में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने का आरोप है. इस सजा के खिलाफ अग्रवाल ने हाईकोर्ट में अपील की थी जिसमें उसने सजा निलंबित करने और जमानत की मांग की गई थी.
कोर्ट ने जमानत से किया इनकार हाईकोर्ट ने कहा कि मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा है, जिसे गंभीरता से देखा जाना चाहिए, अपराध का प्रभाव राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा कर सकता है, बेंच ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सभी सबूतों की समीक्षा के बाद ये फैसला सुनाया है. ऐसे में इस याचिका पर कोई विचार नहीं किया जा सकता है.
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पाकिस्तान भेजे थे कई गोपनीय दस्तावेज
बता दें कि नागपुर जिला न्यायालय ने निशांत अग्रवाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. निशांत अग्रवाल पर 3,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था. नागपुर में कंपनी के मिसाइल केंद्र के तकनीकी अनुसंधान अनुभाग में कार्यरत अग्रवाल को 2018 में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के सैन्य खुफिया और आतंकवाद निरोधी दस्तों (एटीएस) द्वारा एक संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया था.
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