स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने से मज़बूत होगा स्वास्थ्य सेवा का पूरा तंत्र: कैलाश सत्यार्थी
The Wire
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान हमारी स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्गति उजागर हो गई. ग़रीब, वंचित और आम आदमी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएं, इसके लिए स्वास्थ्य तंत्र को मज़बूत बनाना होगा. इसी नाते सरकार से मांग की है कि स्वास्थ्य को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया जाए. यह समय की ज़रूरत है.
नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा देने की पैरवी करते हुए कहा है कि इस कदम से देश में स्वास्थ्य सेवा के पूरे तंत्र को मजबूती दी जा सकेगी. सरकार के समक्ष अपनी मांग रख चुके सत्यार्थी ने यह भी कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण लोगों में छाई निराशा के माहौल में स्वास्थ्य सेवा को मौलिक अधिकार का दर्जा देने से सकारात्मक संदेश जाएगा. उन्होंने से कहा, ‘कोरोना महामारी के दौरान हमारी स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्गति उजागर हो गई है. बेड और ऑक्सीजन के अभाव में हजारों लोगों ने अस्पतालों के बाहर दम तोड़ दिया. कई निजी अस्पतालों में गलत तरीके से लाखों के बिल बनाए गए.’ सत्यार्थी ने इस बात पर जोर दिया, ‘गरीब, वंचित और आम व्यक्ति को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएं, इसके लिए स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत बनाना होगा. इसमें ज्यादा संसाधन लगाने पड़ेंगे. इसी नाते मैंने सरकार से मांग की है कि स्वास्थ्य को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया जाए. यह समय की जरूरत है.’More Related News