स्वामी विवेकानंद ने जब गोरक्षक से पूछे कई मुश्किल सवाल
BBC
शिकागो से लौटे स्वामी विवेकानंद ने एक गोरक्षक की मदद करने से क्यों कर दिया था इनकार?
बात फरवरी 1897 की है. कोलकता का बाग़ बाज़ार इलाका. स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण परमहंस के एक भक्त प्रियनाथ के घर पर बैठे थे. रामकृष्ण के कई भक्त उनसे मिलने वहाँ पहुँचे थे. तरह-तरह के मुद्दों पर चर्चा हो रही थी. तभी वहाँ गोरक्षा एक प्रचारक आ पहुँचे और स्वामी विवेकानंद ने उनसे बात करने गए, स्वामी विवेकानंद और गोरक्षा के प्रचारक संन्यासी के बीच एक दिलचस्प संवाद हुआ जिसे शरतचंद्र चक्रवर्ती ने बांग्ला भाषा में कलमबंद किया था. यह संवाद स्वामी विवेकानंद के विचारों के आधिकारिक संकलन का हिस्सा भी बना. स्वामी विवेकानंद ने गोरक्षा के काम में जुटे इस प्रचारक से क्या कहा होगा? थोड़ी कल्पना कीजिए. अमरीका के शिकागो में 1893 में विश्व धर्म संसद में हिन्दू धर्म की पताका लहराकर लौटे थे विवेकानंद, गेरुआ वस्त्र पहनने वाले संन्यासी ने गोरक्षक जो कुछ कहा उसकी कल्पना करना आपके लिए आसान नहीं होगा. विवेकानंद-गोरक्षक संवाद पढ़िएMore Related News