
स्वतंत्र न्यायपालिका लोकतंत्र का आधार, इस पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं होना चाहिए: कोर्ट
The Wire
मध्य प्रदेश के एक कांग्रेस नेता की हत्या के मामले में बसपा विधायक के पति को मिली ज़मानत ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसाधनों से युक्त और राजनीतिक रूप से ताक़तवर लोगों और न्याय तक पहुंच व संसाधनों से वंचित लोगों के लिए अलग-अलग समानांतर क़ानूनी प्रणालियां नहीं हो सकती. ऐसी व्यवस्था क़ानून की वैधता को ही ख़त्म कर देगी.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि भारत में अमीर, संसाधनों से युक्त और राजनीतिक रूप से ताकतवर लोगों और न्याय तक पहुंच एवं संसाधनों से वंचित छोटे लोगों के लिए दो समानांतर कानूनी प्रणालियां नहीं हो सकती. न्यायालय ने यह भी कहा कि जिला न्यायापालिका से औपनिवेशिक सोच के साथ किए जा रहे व्यवहार को नागरिकों के विश्वास को बचाए रखने के लिए बदलना होगा और जब न्यायाधीश सही के लिए खड़े होते हैं, तो उन्हें निशाना बनाया जाता है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने ने कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के मामले में मध्य प्रदेश की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधायक रामबाई सिंह के पति गोविंद सिंह को दी गई जमानत को खारिज करते हुए ये अहम टिप्पणियां कीं. न्यायालय ने कहा कि एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका लोकतंत्र का आधार है और इस पर किसी प्रकार का राजनीतिक दबाव नहीं होना चाहिए.More Related News