
स्पेनिश फ्लू के दौरान इलाज में व्हिस्की कैसे लोकप्रिय दवा बन गई थी? जानिए रोचक बातें
ABP News
क्या अल्कोहल से वायरस दूर हो सकता है? ये सवाल कोरोना महामारी की पहली लहर में पिछले साल फैलने लगा. इसका किसी रिसर्च से समर्थन नहीं हुआ. कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं थे कि अल्कोहल का सेवन कोरोना संक्रमण को खत्म कर सकता है. हालांकि, 100 साल पहले महामारी की एक अवधि थी, जब व्हिस्की का इस्तेमाल 'दवा' के तौर पर किया जाता था.
आज कल अल्कोहल से दूर रहने की सलाह दी जा रही है क्योंकि ये इम्यून सिस्टम को कमजोर करने का काम करता है. लेकिन क्या आप जानते हैं 2018 में जब सबसे खतरनाक महामारी ने दुनिया को प्रभावित किया था, तब खुद मेडिकल विशेषज्ञ व्हिस्की को समर्थन करते थे. स्पेनिश फ्लू सभी महामारियों में सबसे घातक जाना गया है क्योंकि उसने दुनिया की 3-5 फीसद आबादी का सफाया कर दिया था. अनुमान है कि 1918 और 1920 के बीच 50-100 मिलियन लोगों की जिंदगी खत्म हो गई थी. दवा के तौर पर व्हिस्की का इस्तेमालअमेरिका में स्पेनिश फ्लू के बढ़ने के साथ लोग अपने पुराने इलाज यानी व्हिस्की की तरफ लौट आए. इसका इस्तेमाल छोटी मात्रा में सिफारिश किया जाता था और कहा जाता था कि उसमें औषधीय लाभ हैं. डॉक्टर, नर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स नियमित व्हिस्की का इस्तेमाल खुद को इंफ्लुएंजा से बचाने के लिए करते थे. कुछ डॉक्टरों का मानना था कि बीमारी से कमजोर हो चुके श्वसन सिस्टम और दिल को प्रोत्साहित करने में व्हिस्की मदद करती है. चूंकि 1918 में उस वक्त कोई एंटीबायोटिक्स नहीं थी, एस्पिरिन और स्ट्रिकनिन से लेकर हॉर्लिक, विक्स वेपोरब और व्हिस्की समेत इलाज की विभिन्य श्रेणियों का इस्तेमाल मरीजों के लिए किया जाता था.More Related News