
स्कूल में बच्चे की पिटाई पर टीचर को 10 साल की सजा मुमकिन,जानिए कानूनी प्रावधान
The Quint
Physical Punishment in School; शिक्षा के अधिकार धारा 17 के तहत किसी भी तरह के शारीरिक दंड, मानसिक प्रताड़ना और भेदभाव पूरी तरह से प्रतिबंधित है. धारा 82 के तहत भी जेल और जुर्माने का प्रावधान है. बच्चों की केयर और सुरक्षा स्कूल की जिम्मेदारी होगी
अनुशासन का पाठ पढ़ाने के लिए बच्चों की पिटाई कर देना या उन्हें सजा देने इस पर कई लोग अपने-अपने तर्क देते हैं. राजस्थान के चूरू (Rajasthan Churu) जिले में एक होम वर्क ना करने पर एक टीचर ने बच्चे की इतनी पिटाई कर दी कि उसकी मौत हो गई. ऐसे कई मामले स्कूल या शिक्षकों के खिलाफ दर्ज होते रहते हैं. लेकिन बच्चों को सजा देने को लेकर भारत में क्या कानून है, क्या-क्या प्रावधान है ताकि स्कूल के बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके. ADVERTISEMENTराजस्थान में हुई घटना पर बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कहा कि 'शिक्षक द्वारा छात्र को होमवर्क नहीं करने पर इस तरह की सजा देना बहुत ही दर्दनाक और निंदनीय मामला है. स्कूलों में कॉर्पोरल पनिशमेंट के तहत बच्चे में अनुशासन स्थापित करना गलत है.'कॉर्पोरल पनिशमेंट से मतलब शारीरिक और मानसिक सजा देना होता है. जिसमें चांटा मारने से लेकर कान खींचना शामिल हैं. इस तरह की सजाओं पर कई एक्सपर्ट का मानना है कि इससे बच्चों पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है. उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नेगेटिव असर पड़ सकता है. इसके परिणाम स्वरूप वह किसी भी तरह के कदम भी उठा सकते हैं.बच्चों की पिटाई के मामलों में कमी लाने के लिए केंद्र सरकार ने किशोर न्याय अधिनियम 2015 यानि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट लागू किया है. लेकिन इसके अलावा भी देश में कई कानून और गाइडलाइनंस हैं जो बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है.जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 में क्या कहा गया है?शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 17 के तहत किसी भी तरह के शारीरिक दंड, मानसिक प्रताड़ना और भेदभाव पूरी तरह से प्रतिबंधित है. इसके अलावा जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की धारा 82 के तहत भी जेल और जुर्माने का प्रावधान है.जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की धारा 75 में कहा गया है कि बच्चे की देखभाल और उनकी सुरक्षा स्कूल की जिम्मेदारी होगी.स्कूल प्रबंधन ऐसे कदम उठाए ताकि हर बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित हो. नियमों का उल्लंघन होने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान हो. अगर कोई दोषी सिद्ध होता है तो 5 साल तक की सजा और 5 लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है. अगर यह पाया जाता है कि किसी वजह से बच्चा मानसिक बीमारी का शिकार हो गया है तो फिर 3 से 10 साल तक की सजा और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.CBSE और NCPCR की गाइडलाइंस क्या कहती...