
सौभाग्य और सुहाग की निशानी लाख की चूड़ी का फैशन आज भी बरकरार, क्या है इसका इतिहास?
ABP News
Jodhpur News: जोधपुर में प्राचीन समय से शुद्ध और शुभ मानी जाने वाली लाख की चूड़ियों का इतिहास और मान्यता फैशन के इस दौर में भी बरकार है.
Jodhpur News: लाख की चूड़ी का नाम सुनते ही आप को लग रहा होगा कि इतनी महंगी चूड़ी. जी नहीं, यह लाख रुपए की चूड़ी नहीं बल्कि खास औषधि से बनी महिलाओं के हाथ में सजावट का सामान है. इसे सुहाग की निशानी माना जाता है. पहनने वाले के हाथों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. जोधपुर में प्राचीन समय से शुद्ध और शुभ मानी जाने वाली लाख की चूड़ियों का इतिहास और मान्यता फैशन के इस दौर में भी बरकार है.
सुहागन महिलाएं लाख की चूड़ी के बिना कलाई सूना और उदास मानती हैं. शुभ कार्य की शुरुआत हो या शादी विवाह हर समय लाख की चूड़ी महिलाओं की कलाई पर सौभाग्य बढ़ाने, समृद्धि के लिए मानी जाती है. लाख की चूड़ी घरेलू उद्योग की तरह है. चूड़ी बनाने से लेकर लाख को इकट्ठा करने और बेचने तक का बहुत बड़ा व्यापार है. करोड़ों रुपए के व्यापार से जुड़े लोगों में मनिहारी समाज के करीब 5000 परिवार का रोजगार है. इस काम को कोई भी मात्र 5000 रुपए से शुरू कर लाखों की कमाई कर सकता है. जोधपुर में लाख की चूड़ी बनाने वाले कारीगर ने बताया कि मनिहारी समाज के लोगों का यह पुश्तैनी काम है. हमारे दादा, परदादा भी यही काम करते थे और हम भी यही कर रहे हैं. चूड़ी बहुत ही खूबसूरत और शुभ मानी जाती है. मान्यताओं के आधार पर आज भी इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. यह काम हमारे घर के बच्चे और महिलाएं भी करती हैं.