सोच अलग, साहस जुदा... ये युवा आखिर चाहते क्या हैं?
BBC
भारत के मध्य वर्ग से आने वाले जेन ज़ेड- यानी 18 से 25 साल के लोग- पुराने पारंपरिक ढर्रे को तोड़ रहे हैं. लेकिन क्या अर्थव्यवस्था उनके सपनों को पूरे होने देगी?
भारत के मध्य वर्ग से आने वाले जेन ज़ेड- यानी 18 से 25 साल के लोग- पुराने पारंपरिक ढर्रे को तोड़ रहे हैं, लेकिन क्या अर्थव्यवस्था उनके सपनों को पूरे होने देगी?
इंटरनेट एंटरप्रेन्योर अंकुर वारिकू के ट्विटर और यूट्यूब पर लाखों फ़ॉलोअर हैं. उन्हें हर दिन इन युवाओं से 300 ई-मेल मिलते हैं.
उन्होंने बताया कि वह इस नई पीढ़ी के बारे में क्या सोचते हैं. जिन युवा भारतीयों से उन्होंने बात की है, वे अपनी पिछली पीढ़ी से अलग सोच रखते हैं.
हमें लगता है कि नौजवान लड़के-लड़कियां प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं के लिए तैयारी कर रहे हैं जो उन्हें एक टॉप इंजीनियरिंग या मेडिकल स्कूल में जगह दिलाएगा, वे अपने लिए एक भरोसेमंद करियर बनाने और अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. ये एक स्टीरियोटाइप सोच है.