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सेना की अदालत ने सबूतों के अभाव में रिटायर्ड ऑफिसर को किया बरी, गोपनीय जानकारी लीक करने का था मामला
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सेना की अदालत ने कोई सबूत नहीं मिलने पर आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम मामले में रिटायर्ड जूनियर कमिशन ऑफिसर (JCO) को बरी कर दिया. रिटायर्ड जेसीओ जानकारी लीक होने के मामले में मुकदमे का सामना कर रहे थे. उनके खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिलने पर आर्मी जनरल कोर्ट मार्शल (GCM) ने उन्हें बरी कर दिया.
सेना की अदालत ने कोई सबूत नहीं मिलने पर आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम मामले में रिटायर्ड जूनियर कमिशन ऑफिसर (JCO) को बरी कर दिया. रिटायर्ड जेसीओ जानकारी लीक होने के मामले में मुकदमे का सामना कर रहे थे. उनके खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिलने पर आर्मी जनरल कोर्ट मार्शल (GCM) ने उन्हें बरी कर दिया. GCM ने अब एक मामले में मुकदमे का सामना कर रहे रिटायर्ड सूबेदार को बरी करने की सिफारिश की है. उन पर आरोप था कि वह संवेदनशील जानकारी को लीक होने से नहीं बचा सके.
वर्ष 2020 का था मामला JCO पर आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप लगाया गया था. उन पर यह आरोप था कि हेड क्लर्क के कर्तव्यों का पालन करते समय वह संवेदनशील जानकारी वाले दस्तावेजों की उचित देखभाल नहीं कर पाए. ये मामला वर्ष 2020 में हुआ था. जेसीओ तब ड्यूटी में थे और जानकारी कथित तौर पर सेना के एक फॉर्मेशन में तैनात सैनिकों द्वारा लीक की गई थी.
JCO पर सेना अधिनियम की धारा 63 के तहत भी आरोप लगाए गए और सूचना और दस्तावेजों की उचित निगरानी नहीं करने का आरोप लगाया गया. सूबेदार अक्टूबर 2021 में ही सेना से रिटायर्ड हो गए थे, लेकिन उनके खिलाफ लंबित अनुशासनात्मक कार्रवाई को पूरा करने के लिए सेना अधिनियम की धारा 123 लागू होने के बाद उन्हें वापस बुला लिया गया था.
GCM की बैठक 4 जनवरी, 2024 को हुई, जिसमें कुल मिलाकर 8 अभियोजन गवाहों से पूछताछ की गई. जेसीओ के वकील अक्षित आनंद ने कहा कि रिकॉर्ड पर इस बात का कोई सबूत नहीं है कि जिन दस्तावेजों को कथित तौर पर लीक किया गया है, उन पर जेसीओ की कोई पहुंच या अधिकार था और अदालत को भी ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि जेसीओ ने इसे लीक किया हो. लीक हुए दस्तावेज़ों पर उचित निगरानी रखें.
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