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सेंट्रल विस्टा: क्या पीएम मोदी को एक नए घर की ज़रूरत है?
BBC
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नया संसद भवन, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के लिए नए घर और कई ऑफ़िस बनाए जा रहे हैं. पूरे प्रोजेक्ट की क़ीमत क़रीब बीस हज़ार करोड़ रुपये बताई जा रही है.
दिल्ली का राजपथ कई मायनों में ख़ास है. इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक जाने वाली इस सड़क के दोनों तरफ़ गार्डन हैं जहां हज़ारों लोग ठंड में धूप सेंकने या गर्मियों की शामों में आइसक्रीम खाने आया करते हैं. लेकिन तीन किलोमीटर लंबी इस सड़क के चारों ओर अब धूल का अंबार लगा हुआ है. ज़मीन से निकाली गई मिट्टी, गड्ढे और लोगों को अंदर आने से मना करते साइन बोर्ड हर तरफ़ दिख जाएंगे. साथ ही सीवेज की पाइप और फ़ुटपाथ की मरम्मत करते पीली वर्दी पहने मज़दूर. ये सब सरकार की सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत हो रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत नया संसद भवन, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के लिए नए घर और कई ऑफ़िस बनाए जा रहे हैं. पूरे प्रोजेक्ट की क़ीमत क़रीब बीस हज़ार करोड़ रुपये बताई जा रही है. यही कारण है कि शुरुआत से ही ये इस प्रोजेक्ट को लेकर विवाद उठते रहे हैं. सितंबर 2019 में इस प्रोजेक्ट की घोषणा की गई थी. तब से ही आलोचकों का कहना है कि इतनी बड़ी रक़म का इस्तेमाल लोगों की भलाई से जुड़े दूसरे कामों के लिए किया जा सकता था, जैसे कि दिल्ली के लिए साफ़ हवा का इंतज़ाम करने के लिए, जो कि दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है. हालांकि सरकार इन आरोपों को ख़ारिज करती है. उनका कहना है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से अर्थव्यवस्था को बहुत फ़ायदा होगा. शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी के मुताबिक़, इससे "बड़े स्तर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को रोज़गार मिलेंगे" और ये भारत के लोगों के लिए "गर्व" की बात होगी.More Related News