सेंगोल के विरोध पर मायावती ने SP को घेरा, बोलीं- जरूरी मुद्दों पर ये चुप रहते हैं, इनके हथकंडों से सावधान रहें
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सेंगोल को लेकर जारी सियासत के बीच बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने कहा कि सेंगोल को संसद में लगाना या नहीं, इस पर बोलने के साथ-साथ सपा के लिए यह बेहतर होता कि यह पार्टी देश के कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों के हितों में और आम जनहित के मुद्दों को भी केंद्र सरकार को घेरती है.
संसद के विशेष सत्र के बीच सेंगोल को लेकर सियासत तेज हो गई है. विपक्षी दलों ने संसद भवन के स्पीकर के आसन के पास स्थापित सेंगोल को हटाने की मांग की है. समाजवादी पार्टी ने सेंगोल को राजशाही का प्रतीक बताते हुए उसे हटाकर उसकी जगह संविधान स्थापित करने की मांग की है. लेकिन इस पर मायावती ने सपा को जमकर घेरा है.
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने कहा कि सेंगोल को संसद में लगाना या नहीं, इस पर बोलने के साथ-साथ सपा के लिए यह बेहतर होता कि यह पार्टी देश के कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों के हितों में और आम जनहित के मुद्दों को भी केंद्र सरकार को घेरती है.
उन्होंने कहा कि जबकि सच्चाई ये है कि ये पार्टी अधिकांश ऐसे मुद्दों पर चुप ही रहती है और सरकार में आकर कमजोर वर्गों के खिलाफ फैसले भी लेती है. इनके महापुरूषों की भी उपेक्षा करती है. इस पार्टी के सभी हथकंडों से जरूर सावधान रहें.
सपा-कांग्रेस ने सेंगोल को लेकर क्या कहा था?
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद आरके चौधरी ने कहा था कि संविधान महत्वपूर्ण है, लोकतंत्र का प्रतीक है. अपने पिछले कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने संसद में 'सेंगोल' स्थापित किया. 'सेंगोल' का अर्थ है 'राज-दंड', इसका अर्थ 'राजा का डंडा' भी होता है. रियासती व्यवस्था को खत्म करके देश आजाद हुआ. देश 'राजा के डंडे' से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए संसद से सेंगोल को हटाया जाए.
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