
सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह क़ानून पर चिंता जताई, पूछा- आज़ादी के 75 साल बाद इसे बनाए रखना ज़रूरी क्यों
The Wire
आईपीसी की धारा 124ए को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगते हुए कोर्ट ने कहा कि यह औपनिवेशिक काल का क़ानून है, जिसे ब्रिटिशों ने स्वतंत्रता संग्राम को दबाने और महात्मा गांधी, गोखले आदि को चुप कराने के लिए इस्तेमाल किया था. क्या आज़ादी के इतने समय बाद भी इसे बनाए रखना ज़रूरी है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह संबंधी ‘औपनिवेशिक काल’ के दंडात्मक कानून के दुरुपयोग पर गुरुवार को चिंता व्यक्त की और प्रावधान की वैधता को चुनौती देने वाली ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ की याचिका समेत याचिकाओं के समूह पर केंद्र से जवाब मांगा. #Sedition #SupremeCourtoflndia #SupremeCourt #Section124A #CJIRamana pic.twitter.com/JVkZuehjD7 प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि उसकी मुख्य चिंता ‘कानून का दुरुपयोग’ है और उसने पुराने कानूनों को निरस्त कर रहे केंद्र से सवाल किया कि वह इस प्रावधान को समाप्त क्यों नहीं कर रहा है. — Live Law (@LiveLawIndia) July 15, 2021More Related News