सुप्रीम कोर्ट ने माओवादी लिंक मामले में जीएन साईबाबा को बरी करने का हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया
The Wire
बीते वर्ष अक्टूबर में बॉम्बे हाईकोर्ट ने माओवादियों से संबंध मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा समेत छह लोगों को बरी करते हुए कहा था कि ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कथित ख़तरे’ के नाम पर क़ानून की उचित प्रक्रिया को ताक़ पर नहीं रखा जा सकता.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (19 अप्रैल) को दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा माओवादियों से संबंध रखने के मामले में बरी करने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया.
बार एंड बेंच के मुताबिक, जस्टिस एमआर शाह और सीटी रविकुमार की पीठ ने मामले को नए सिरे से विचार करने के लिए हाईकोर्ट भेज दिया. जजों ने कहा कि अब हाईकोर्ट की एक अलग पीठ को मामले पर सुनवाई करना चाहिए, क्योंकि पहले की पीठ ने अपना मत स्पष्ट कर दिया था.
लाइव लॉ के मुताबिक पीठ ने कहा, ‘पक्षों के बीच आम सहमति के मद्देनजर और मामले के गुण-दोष देखे बिना संबंधित पक्षों के वकील की सहमति से, हम बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा पारित किए गए निर्णय और आदेश को रद्द करते हैं. कानून के अनुसार और अपनी योग्यता के आधार पर उक्त अपीलों पर नए सिरे से फैसला करने के लिए मामलों को हाईकोर्ट वापस भेजा जाता है.’
शीर्ष अदालत ने आदेश दिया, ‘हम उच्च न्यायालय से अनुरोध करते हैं कि वह अपीलों का शीघ्रता से, प्राथमिकता के साथ चार महीने के भीतर निपटान करे. यह भी कहा जाताहै कि अपील करने पर मामले को किसी अन्य पीठ के समक्ष रखा जाए, न कि उसके समक्ष, जिसने विवादित आदेश पारित किया था.’