
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- जीएम सरसों की पर्यावरणीय मंज़ूरी के पीछे क्या बाध्यकारी कारण है
The Wire
पर्यावरण मंत्रालय के तहत गठित जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति ने गत अक्टूबर में ट्रांसजेनिक सरसों हाइब्रिड किस्म डीएमएच-11 की पर्यावरणीय मंज़ूरी दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या जीएम सरसों की पर्यावरण मंज़ूरी देने के पीछे कोई बाध्यकारी कारण रहा है कि ऐसा न करने से देश असफल हो जाएगा.
नई दिल्ली: आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जीएम) फसलों के कारण पर्यावरण प्रदूषण की चिंता के बीच सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से पूछा कि क्या जीएम सरसों की पर्यावरण मंजूरी देने के पीछे कोई बाध्यकारी कारण रहा है कि ऐसा न करने से देश असफल हो जाएगा.
शीर्ष अदालत ने कहा कि भारतीय किसान अपने पश्चिमी समकक्षों के उलट साक्षर नहीं हैं और वे ‘कृषि मेला’ और ‘कृषि दर्शन’ जैसे आयोजनों के बावजूद जीन और म्यूटेशन के बारे में नहीं समझ पाते हैं और यह एक जमीनी हकीकत है.
केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि कार्यकर्ताओं, विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों द्वारा जीएम फसलों का विरोध वैज्ञानिक तर्क पर आधारित होने के बजाय ‘वैचारिक’ है.
उल्लेखनीय है कि पर्यावरण मंत्रालय के तहत गठित जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) ने गत 25 अक्टूबर को ट्रांसजेनिक सरसों हाइब्रिड किस्म डीएमएच-11 की पर्यावरणीय मंजूरी दी थी.