सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को निर्देश- कोरोना के चलते रिहा क़ैदियों को आत्मसमर्पण के लिए नहीं कहें
The Wire
सुप्रीम कोर्ट ने सात मई को कोरोना के मामले में अप्रत्याशित बढ़ोतरी पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकारों से उन कैदियों को तुरंत रिहा करने के लिए कहा था, जिन्हें पिछले साल जमानत या पैरोल दी गई थी. अदालत ने राज्य सरकारों को 23 जुलाई तक क़ैदियों की रिहाई में पालन किए गए मानदंडों की विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि देश में कोरोना वायरस के मद्देनजर जेलों से भीड़ को कम करने लिए रिहा किए गए कैदियों को आत्मसमर्पण के लिए नहीं कहा जाना चाहिए. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस नागेश्वर राव और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने राज्य सरकारों को 23 जुलाई तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है, जिसमें पूरा ब्योरा हो कि कैदियों की रिहाई के लिए उन्होंने किन मानदंडों का पालन किया था. बता दें कि अदालत ने कोरोना के मद्देनजर जेलों की भीड़-भाड़ कम करने के लिए स्वत: संज्ञान लिए गए मामले की सुनवाई के दौरान यह बात कही. सुप्रीम कोर्ट ने सात मई को कोरोना के मामले में अप्रत्याशित बढ़ोतरी पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकारों से उन कैदियों को तुरंत रिहा करने के लिए कहा था, जिन्हें पिछले साल जमानत या पैरोल दी गई थी. इसके साथ ही जेलों से भीड़ को कम करने की प्रक्रिया पर निगरानी रखने के लिए राज्यवार उच्चाधिकार प्राप्त समितियों (एचपीसी) का गठन किया था.More Related News