
सुपुर्दे खाक हुए अतीक-अशरफ, लेकिन खून और खाली खोखे की बीच बिखरे पड़े हैं ये 10 सवाल
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यूपी के माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को प्रयागराज के कसारी-मसारी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया है. अतीक के दोनों नाबालिग बेटों ने अंतिम विदाई दी. इस हत्याकांड को अब 24 घंटे से अधिक हो चुके हैं, लेकिन कुछ सवाल ऐसे हैं, जिनका जवाब अब तक नहीं मिले हैं.
अतीक अहमद... एक माफिया जो 40 साल तक जुर्म की दुनिया को पालता पोषता रहा, जो देश की संवैधानिक प्रक्रिया और इसके नीति निर्माताओं में 6 बार शामिल तो हुआ, लेकिन कभी संविधान और कानून का सम्मान नहीं कर पाया. जिसने डर के राज को ही सच समझ लिया, त्रासदी है कि वही अतीक अहमद उस समय अपने भाई के साथ ही जान से हाथ धो बैठा, जब उसके हाथों में हथकड़ी थी और वह खुद कानून के शिकंजे में था.
पत्रकार बनकर आए तीन युवकों पर आरोप शनिवार की रात जब उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जब कॉल्विन अस्पताल में अतीक और अशरफ को पुलिस मेडिकल चेकअप के लिए लेकर आई थी तो तीन युवक पत्रकार बनकर आए और ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर अतीक और अशरफ की हत्या कर दी. इस हत्याकांड के ठीक बाद तीनों हमलावरों ने सरेंडर कर दिया. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके ले गई. रविवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया और यहां से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में तीनों भेज दिए गए.
10 सवाल जिनके जवाब बाकी ये उन 24 घंटों की एक ब्रीफिंग है कि शनिवार रात से रविवार के इस समय तक क्या क्या हुआ है. कसारी मसारी कब्रिस्तान में अतीक अशरफ दफन हो चुके हैं, लेकिन जमीन कॉल्विन अस्पताल के पास जिस जगह बुलेट्स के खाली खोखे, अतीक अशरफ के शव और उनके आस पास खून बिखरा पड़ा था, वहीं पर बिखरे पड़े हैं 10 ऐसे सवाल जो अब इस कांड के 24 घंटे बाद और अधिक गहराते जा रहे हैं. इन पर डालते हैं एक नजर
पहला सवाल तीन हमलावर, तीन शहर तो हत्याकांड के लिए साथ कैसे आए? हत्याकांड के बाद तीनों हमलावरों को सरेंडर के बाद गिरफ्तार कर लिया गया. इनमें अरुण मौर्या, सनी और लवलेश तिवारी शामिल हैं. अतीक हत्याकांड में शामिल सनी हमीरपुर, अरुण उर्फ कालिया कासगंज और लवलेश तिवारी बांदा जिले का रहने वाला है. सवाल है कि ये तीनों, जब अलग अलग शहर के रहने वाले हैं तो अतीक हत्याकांड के लिए कब मिले और उन्होंने किस तरह इसकी प्लानिंग की.
दूसरा सवाल हत्या के लिए कब की प्लानिंग? इस मामले में जो FIR दर्ज है, उसके मुताबिक, 'आरोपियों ने बताया कि वो अतीक और अशरफ को मारने की फिराक में पत्रकार बनकर प्रयागराज आए थे, लेकिन सही समय और मौका नहीं मिल पा रहा था. लेकिन आज मौका मिला तो हमने उसकी हत्या कर दी. हालांकि इसमें भी ये साफ नहीं हुआ है कि क्या तीनों ने ही इस हत्याकांड के लिए प्लानिंग की थी और कब?
तीसरा सवालः कमाना चाहते थे नाम और इतनी कमजोर तैयारी एफआईआर के मुताबिक तीनों आरोपियों ने प्रदेश में अपना नाम कमाने के लिए इस वारदात को अंजाम दिय था. पुलिस पूछताछ पता चला है कि तीनों आरोपी माफिया डॉन अतीक अहमद और अशरफ गैंग का सफाया करना चाहते थे ताकि प्रदेश में उनका नाम हो और भविष्य में लाभ हो. FIR के ही अनुसार, आरोपियों ने बताया कि हम लोग पुलिस के घेरे का अनुमान नहीं लगा पाए थे और हत्या करके भाग नहीं पाए, क्योंकि पुलिस की तेज कार्रवाई से हम लोग पकड़े गए. अब सवाल उठता है कि क्या आरोपी इसका भी अनुमान नहीं लगा पाए कि वह अतीक अहमद जैसे बड़े माफिया पर हमला करने वाले हैं? उनका तर्क कहीं से संतुष्ट करने वाला नहीं है. वहीं, FIR में आरोपी, पुलिस द्वारा पकड़े जाने की बात कह रहे हैं, जबकि लाइव टीवी पर सभी ने देखा कि आरोपियों ने खुद सरेंडर कर दिया.

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