
सीहोर में 50 घंटे चला रेस्क्यू, सासाराम में 20 घंटे की जद्दोजहद... फिर भी नहीं बच सकी सृष्टि और रंजन की जान
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मध्य प्रदेश के सीहोर में बोरवेल में फंसी तीन साल की मासूम सृष्टि को 50 घंटे तो बिहार के सासाराम में पिलर के बीच फंसे 11 साल के रंजन को 20 घंटे के रेस्क्यू के बाद बाहर तो निकाल लिया गया, लेकिन दोनों मासूमों को बचाया नहीं जा सका. डॉक्टरों ने बताया कि रंजन की मौत बाहर निकालने से करीब 10 घंटे पहले तो सृष्टि की मौत 40 घंटे पहले ही हो चुकी थी.
दो राज्यों में कई घंटों से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन तो रुक गया लेकिन दो मासूम जिंदगी की जंग हार गए. मध्य प्रदेश के सीहोर में बोरवेल में फंसी तीन साल की मासूम सृष्टि को 50 घंटे तो बिहार के सासाराम में पिलर के बीच फंसे 11 साल के रंजन को 20 घंटे के रेस्क्यू के बाद बाहर तो निकाल लिया गया, लेकिन दोनों मासूमों को बचाया नहीं जा सका. गुरुवार को जैसे ही दोनों जगह बच्चों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया, उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन दोनों को ही डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. डॉक्टरों ने बताया कि रंजन की मौत बाहर निकालने से करीब 10 घंटे पहले तो सृष्टि की मौत 40 घंटे पहले ही हो चुकी थी.
दरअसल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले के ग्राम मुंगावली में मंगलवार की दोपहर को करीब 3 साल की मासूम सृष्टि कहीं गायब हो गई थी. जब परिजनों ने उसको तलाश किया तो पता चला कि वह 300 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई है. इसकी सूचना पुलिस प्रशासन को दी गई. मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने एसडीआरएफ और एनडीआरएफ को मौके पर बुलाया. इसके बाद सृष्टि को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया.
यहां पोकलेन ड्रिल मशीन और जेसीबी की मदद से करीब 20 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. इसके बाद सेना की मदद ली गई. सेना के जवानों की एक टुकड़ी बुधवार की दोपहर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. सेना के जवानों ने रॉड डालकर मासूम बच्ची को निकालने की कोशिश की, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लग सकी और बच्ची खिसकर 100 फीट गहराई तक जा पहुंची. इसके बाद गुजरात और दिल्ली की रोबोटिक टीम गुरुवार की सुबह मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से चलाया गया.
पथरीली जमीन और पानी का रिसाव से आई रेस्क्यू में परेशानी
पथरीली जमीन और पानी के रिसाव के चलते रेस्क्यू टीम को परेशानी का सामना करना पड़ा. पहले दिन मंगलवार को चले रेस्क्यू ऑपरेशन में एक दर्जन पोकलेन और जेसीबी मशीन की मदद से खुदाई की गई, लेकिन पथरीली जमीन आ जाने की वजह से गड्ढे की खुदाई करने के लिए ड्रिल का सहारा लिया गया. लेकिन ड्रिल के कंपन की वजह से शुरू में 18 फीट पर अटकी बच्ची करीब 50 फुट पर पहुंच गई और धीरे-धीरे वह 100 फीट से अधिक गहराई में पहुंच गई.
रोबोट की मदद से हुक करके निकाला

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